सही जानकारी जुटाने में नाकाम रहा खुफिया तंत्र
बिजेंद्र बंसल, फरीदाबाद गांव अटाली में जिस तरह संप्रदाय विशेष के लोगों पर कई गांवों के लोगों ने म ...और पढ़ें

बिजेंद्र बंसल, फरीदाबाद
गांव अटाली में जिस तरह संप्रदाय विशेष के लोगों पर कई गांवों के लोगों ने मिलकर हमला किया और आगजनी व पत्थरबाजी की घटना हुई, उससे साबित होता है कि पुलिस प्रशासन का खुफिया तंत्र पूरी तरह नाकाम रहा। सोमवार शाम हुई घटना में संप्रदाय विशेष के लोगों के घर, वाहन आग की भेंट चढ़ा दिए गए मगर पुलिस को इसकी भनक तक नहीं हुई। ऐसा नहीं है कि इस घटना को अकेले अटाली गांव के ही बहुसंख्यक परिवारों के लोगों ने अंजाम दिया। पुलिस खुद भी मान रही है कि आसपास के कई गांवों के लोगों ने एकत्र होकर वारदात को अंजाम दिया। अब सवाल यह उठता है कि पुलिस के पास यह सूचना कैसे नहीं पहुंच पाई?
पीड़ित परिवारों के घायलों ने थाना बल्लभगढ़ में बने अस्थायी शिविर में बताया कि धार्मिक स्थल से ही पुलिस शाम पांच बजे गई है। इसके बाद उन पर हमला हुआ। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या स्थानीय पुलिस को गांव में आसपास के लोगों के एकत्र होने की जानकारी नहीं थी? यदि पुलिस को यह जानकारी थी तो फिर पुलिस धार्मिक स्थल से वापस क्यों गई और जानकारी नहीं थी तो पुलिस प्रशासन किस तरह की सुरक्षा दे रहा है? यहां एक बात और शासन चलाने वालों की नजर में आनी चाहिए कि फरीदाबाद पुलिस के लिए इस तरह की सामाजिक जानकारी जुटाने का काम सिक्योरिटी एजेंट (एसए) करते थे जो सभी 18 थानों में एक-एक तैनात थे। पुलिस के आला अधिकारियों ने 21 मई को इन 18 एसए में से 16 का स्थानांतरण यातायात पुलिस में कर दिया था। पुलिस के प्रशासनिक तंत्र की मानें तो ये एसए किसी भी थाना क्षेत्र में रहने वाले हर अच्छे- बुरे इंसान की जानकारी ही नहीं बल्कि उन पर नियमित नजर भी रखते थे। अटाली गांव भी छायंसा थाना क्षेत्र के अंतर्गत आता है और इस थाना के एसए का भी तबादला कर दिया था। हालांकि सोमवार शाम जब पुलिस के आला अधिकारियों को इन एसए की जरूरत हुई तो इन्हें वापस पहले वाले काम पर ही लगा दिया गया है।

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