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    प्रो मुक्केबाजी को लेकर नर्वस नहीं: विजेंद्र

    By sanjay savernEdited By:
    Updated: Tue, 22 Sep 2015 03:40 AM (IST)

    दस अक्टूबर को पेशेवर मुक्केबाजी में पदार्पण करने के लिए बीजिंग ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता विजेंद्र सिंह ब्रिटेन में कठिन प्रशिक्षण ले रहे हैं। इस दौर ...और पढ़ें

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    अभिषेक त्रिपाठी, नई दिल्ली। दस अक्टूबर को पेशेवर मुक्केबाजी में पदार्पण करने के लिए बीजिंग ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता विजेंद्र सिंह ब्रिटेन में कठिन प्रशिक्षण ले रहे हैं। इस दौरान उन्होंने अपनी तैयारियों और भविष्य की योजनाओं को साझा किया। पेश हैं उनसे बातचीत के मुख्य अंश...

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    प्रोफेशनल मुक्केबाजी की चुनौती को किस तरह देखते हैं?

    सब कुछ अच्छा चल रहा है। बहुत ही कठिन प्रशिक्षण है। मैं आगे बढऩे की कोशिश कर रहा हूं। मैं बहुत ही उत्साहित हूं और प्रोफेशनल मुक्केबाजी में पदार्पण के लिए तैयार हूं। मुझे चुनौतियां पसंद हैं और हर दिन एक नई चुनौती है। मैं हर काम पैशन के साथ करता हूं।

    प्रोफेशनल मुक्केबाजी का प्रशिक्षण एमेच्योर से ज्यादा कठिन होता है?

    यहां हर दिन कुछ नया सीख रहा हूं। स्पिङ्क्षरग, पावर पंच और ब्लॉक करने की ट्रेनिंग हो चुकी है। मैंने सहनशक्तिऔर तकनीक पर भी काम किया है, जिससे ज्यादा देर तक मुकाबले में टिका रह सकूं। इसके अलावा प्रोफेशनल मुक्केबाजी के लिए गेम प्लान भी सीख रहा हूं। एमेच्योर से प्रोफेशनल में जाने के बाद शारीरिक व्यायाम और मानसिक मजबूती पर ध्यान बढ़ गया है। दोनों शैलियों में काफी अंतर है। जहां एमेच्योर में पंच मारने के लिए दूर से प्रयास किया जाता है, वहीं इसमें पास से पंच मारने का अभ्यास किया। इसके अलावा रक्षण और पेट पर ज्यादा से ज्यादा प्रहार करने पर ध्यान है। सामने वाले को छलना भी ट्रेनिंग का हिस्सा है।

    पहली प्रोफेशनल फाइट से डर तो नहीं लग रहा?

    मैं नर्वस नहीं हूं, बल्कि पहली फाइट का उत्सुकता से इंतजार कर रहा हूं। मैं शारीरिक और मानसिक रूप से इसके लिए तैयार हूं।

    यहां आने से पहले भारत में हुए विवाद पर क्या कहेंगे?

    मैं सिर्फ और सिर्फ यहां प्रोफेशनल मुक्केबाजी में भाग लेने की अनुमति देने के लिए हरियाणा सरकार और अपने विभाग को धन्यवाद देना चाहूंगा। केंद्रीय खेल मंत्री सर्बानंद सोनोवाल और केंद्र सरकार ने भी मेरा समर्थन किया और प्रो मुक्केबाजी में देश का नाम रोशन करने का मौका दिया।

    युवा भारतीय मुक्केबाजों को क्या संदेश देना चाहेंगे?

    मुझे लगता है कि प्रो मुक्केबाजी युवाओं के लिए अच्छी है। मैं चाहता हूं कि वे कड़ी मेहनत करें और यहां तक पहुंचें।

    देश के मुक्केबाज अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन राष्ट्रीय संघ के सुचारू रूप से नहीं चलने से इसके असर को कैसे देखते हैं?

    देश में प्रतिभा की कमी नहीं है और मैं चाहता हूं कि ज्यादा से ज्यादा मुक्केबाज अगले साल होने वाले रियो ओलंपिक में पदक जीतें।

    ओलंपिक में भारत के लिए पदक जीता और प्रो मुक्केबाजी में पहला मुकाबला जीतना। इनमें से कौन सा क्षण आपके लिए ज्यादा महत्वपूर्ण होगा?

    जिंदगी में हर क्षण महत्वपूर्ण होता है। मैंने एमेच्योर मुक्केबाजी में अपना सर्वश्रेष्ठ देते हुए ओलंपिक से लेकर विश्व चैंपियनशिप में पदक जीता। अब मैं प्रोफेशनल मुक्केबाजी में हूं और यहां पर मैं नई ऊंचाइयों को छूकर देश को गर्व का मौका देना चाहता हूं।

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