बजट से पहले उद्योगपतियों में छाई निराशा
आम बजट से ठीक तीन दिन पहले उद्योग जगत ने एक बार फिर वित्त मंत्री से आग्रह किया है कि औद्योगिक मंदी और आर्थिक सुस्ती को देखते हुए उन्हें इस बार कुछ खास करना चाहिए। हालांकि प्रमुख उद्योग चैंबर सीआइआइ की तरफ से उद्योगपतियों के बीच किए गए सर्वे में कहा गया है कि अर्थव्यवस्था की सुस्त गति में सुधार के लक्षण फि लहाल नहीं दिख रहे हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आम बजट से ठीक तीन दिन पहले उद्योग जगत ने एक बार फिर वित्त मंत्री से आग्रह किया है कि औद्योगिक मंदी और आर्थिक सुस्ती को देखते हुए उन्हें इस बार कुछ खास करना चाहिए। हालांकि प्रमुख उद्योग चैंबर सीआइआइ की तरफ से उद्योगपतियों के बीच किए गए सर्वे में कहा गया है कि अर्थव्यवस्था की सुस्त गति में सुधार के लक्षण फिलहाल नहीं दिख रहे।
सीआइआइ के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने सर्वे जारी करते हुए कहा कि अधिकांश उद्योगपतियों के मुताबिक निकट भविष्य में अर्थव्यवस्था की स्थिति नहीं सुधरेगी। यह स्थिति काफी खतरनाक संकेत है। उद्योग जगत में फैली निराशा को दूर करने के लिए वित्त मंत्री पी चिदंबरम को अगले बजट का पूरा इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि सरकार ने अभी तक जो भी मदद दी है उसका असर होता नहीं दिख रहा। अब सिर्फ ब्याज दरों को घटाने से बात नहीं बनेगी, बल्कि वित्त मंत्री को आम बजट के जरिये नीतियों में बड़े बदलाव का एलान करना चाहिए।
यह सर्वे बताता है कि देश के अधिकांश उद्योगों के अगले तीन महीने पिछली तिमाही से बदतर होंगे। खास कर बड़े पैमाने पर रोजगार देने वाले उद्योगों की स्थिति सबसे ज्यादा खराब हो सकती है। भारी मशीनरी बनाने वाले उद्योग, टेक्सटाइल, कार, टीवी, टायर जैसे मैन्यूफैक्यरिंग उद्योगों के बीच निराशा बढ़ती जा रही है। इससे रोजगार सृजन पर भी बड़ा असर पड़ सकता है। 62.2 फीसद उद्योगों ने कहा है कि जनवरी-मार्च, 2013 में विकास दर पहले के अनुमान से खराब रहेगी। सर्वे में 122 उद्योगपतियों ने मैन्यूफैक्चरिंग को प्राथमिकता देने की मांग की है। प्लांट और मशीनरी पर ह्रास यानी डेप्रिसिएशन की दर को बढ़ाने और सरकारी उपक्रमों को उनके रिजर्व का इस्तेमाल क्षमता विस्तार में करने की इजाजत दी जाए। 50 महत्वपूर्ण परियोजनाओं का चयन करने और उन्हें तेजी से लागू करने की सलाह दी गई है।