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फिल्म वाला नहीं असली मिस्टर इंडिया कर रहा है लोगों की मदद वो भी फेसबुक पर

मिस्टर इंडिया...नाम तो सभी ने सुना फिल्म भी देखी होगी लेकिन असली मिस्टर इंडिया को कितने लोग जानते हैं जो हमारे बीच में ही है और लोगों की मदद कर रहा है। पढ़िए मिस्टर इंडिया की कहानी

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Published: Fri, 05 Aug 2016 09:34 AM (IST)Updated: Fri, 05 Aug 2016 12:53 PM (IST)

आपका नाम क्या है? जवाब में हंसी मिली। काम क्या करते हैं? फिर से हंसी। लोगों की मदद करते हैं, पर सामने नहीं आते? अबकी बार जवाब आया। कहते हैं मदद ऐसी होनी चाहिए कि अगर दाएं हाथ से कुछ दिया है तो बाएं हाथ को पता भी न चले। फिर से नाम पूछा तो कहने लगे नाम में क्या रखा है। जो सही लगता है, वही कह दो। उनसे पूछा गया ‘सेवक’ कैसा रहेगा। जवाब में फिर हंसी मिली।

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आप सभी ने मिस्टर इंडिया फिल्म तो देखा ही होगा। ऐसा ही आज कल एक शख्स फेसबुक पर है। जो लोगों की मदद करता है। उसे आज तक किसी ने भी नहीं देखा है और न ही कोई उसका नाम जानता है। किसी स्कूल को दो पंखे दान करने या फिर छोटी-छोटी मदद को ढिंढोरा पीटते हैं। नेता और मंत्री चौराहों पर भाषणों में अपने काम की तारीफ कर चिल्लाते नजर आते हैं कि हमने फलां की मदद की, लेकिन ऐसे बहुत कम लोग होते हैं, जो लाखों की रुपये की मदद गुमनामी में रहकर करते हैं।

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फेसबुक का मिस्टर इंडिया धर्म नहीं देखता
उन्हीं में से हैं मूल रूप से हिमाचल और वर्तमान में दिल्ली में रहने वाले यह शख्स। सेवक उनका असली नाम नहीं है। यह उस शख्स का परिचय है। जो फेसबुक पर बीमार लोगों की मदद के लिए की गई पोस्ट पर सहायता के लिए तत्पर रहता है। उनको इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि बीमार कहां से और किस जाति का है। वह अब तक हल्द्वानी और आस-पास के सात लोगों की मदद कर चुके हैं। वक्त ऐसा है कि लोग सड़क पर तड़पते व्यक्ति को छोड़ जाते हैं।

अपना नाम किसी को नहीं बताते। उनके काम को देखते हुए यह नाम आरटीआइ कार्यकर्ता गुरविंदर सिंह चड्ढा ने उन्हें दिया है। चड्ढा ने फेसबुक पर बागेश्वर के एक बच्चे के इलाज की मदद के लिए पोस्ट डाली थी। एक सप्ताह बाद फेसबुक आइडी पर दर्ज उनके नंबर पर फोन आया और बच्चे की मदद करने की इच्छा जाहिर की। बच्चा तो नहीं रहा, लेकिन सेवक ने उस बच्चे की दोनों बहनों की पढ़ाई का जिम्मा उठाने का प्रस्ताव रख दिया।

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