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    सूटकेस में समायी पैथोलॉजिकल लैब

    गांव के लोग अब जल्द ही घर के पास अपनी बीमारियों की जांच करा सकेंगे। ऐसा एक बहुत छोटी पैथोलॉजिकल प्रयोगशाला के जरिये संभव हो पाएगा। यह इतनी छोटी है कि इसे आसानी से सूटकेस में रखकर जहां चाहें ले जाया सकता है।

    By Edited By: Updated: Mon, 13 May 2013 11:56 AM (IST)

    नई दिल्ली। गांव के लोग अब जल्द ही घर के पास अपनी बीमारियों की जांच करा सकेंगे। ऐसा एक बहुत छोटी पैथोलॉजिकल प्रयोगशाला के जरिये संभव हो पाएगा। यह इतनी छोटी है कि इसे आसानी से सूटकेस में रखकर जहां चाहें ले जाया सकता है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री एस जयपाल रेड्डी ने शनिवार को इसे लांच किया। इस जैवरासायनिक प्रयोगशाला को आइआइटी रुढ़की से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री ले चुके अमित भटनागर ने बनाया है।

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    भटनागर अमेरिका में नौकरी करते थे। उन्होंने इसके लिए हॉलीवुड के मशहूर यूनिवर्सल स्टूडियो की शानदार नौकरी छोड़ दी। इसे बनाने के लिए भारत सरकार के तकनीकी विकास बोर्ड से चार करोड़ रुपये कर्ज लिया। अन्य संसाधनों से भी चार करोड़ रुपये जुटाए। इससे बहुत सारी बीमारियों की शुरुआती जांच में ही पता चल जाएगा। इस प्रयोगशाला में किडनी, लीवर, दिल, खून की कमी, मधुमेह और गठिया सहित 23 बीमारियों की जांच की जा सकती है। यह आने वाले दिनों में दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए वरदान साबित होगी। खासकर उनके लिए जो जांच केंद्रों तक बहुत कम पहुंच पाते हैं और जिसके कारण कई बीमारियों का पता ही नहीं चल पाता।

    भटनागर का कहना है कि इस प्रयोगशाला की मदद से समय से बिल्कुल सही जांच कम खर्च में हो जाती है। इस प्रयोगशाला की अधिकतम कीमत 3.5 लाख रुपये है जिसमें ब्लड एनालाइजर, सेंट्रीफ्यूग, माइक्त्रो पाइपेट, इंक्यूबेटर, लैपटॉप जिसमें मरीज का डाटा मैनेजमेंट सिस्टम सॉफ्टवेयर और उपयोग की अन्य वस्तुएं हैं। इस पोर्टेबल लैब का इस्तेमाल सीमा सड़क संगठन अपने कारगिल, लेह, नगालैंड जैसे दूरदराज के चिकित्सालयों में कर रहा है। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) छत्तीसगढ़ के जंगलों में इसका इस्तेमाल कर रही है। हरियाणा के राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन और केरल में प्रायोगिक तौर पर इसे इस्तेमाल किया जा रहा है।नई दिल्ली, प्रेट्र : गांव के लोग अब जल्द ही घर के पास अपनी बीमारियों की जांच करा सकेंगे। ऐसा एक बहुत छोटी पैथोलॉजिकल प्रयोगशाला के जरिये संभव हो पाएगा। यह इतनी छोटी है कि इसे आसानी से सूटकेस में रखकर जहां चाहें ले जाया सकता है। विान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री एस जयपाल रेड्डी ने शनिवार को इसे लांच किया। इस जैवरासायनिक प्रयोगशाला को आइआइटी रुढ़की से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री ले चुके अमित भटनागर ने बनाया है। भटनागर अमेरिका में नौकरी करते थे। उन्होंने इसके लिए हॉलीवुड के मशहूर यूनिवर्सल स्टूडियो की शानदार नौकरी छोड़ दी। इसे बनाने के लिए भारत सरकार के तकनीकी विकास बोर्ड से चार करोड़ रुपये कर्ज लिया। अन्य संसाधनों से भी चार करोड़ रुपये जुटाए। इससे बहुत सारी बीमारियों की शुरुआती जांच में ही पता चल जाएगा। इस प्रयोगशाला में किडनी, लीवर, दिल, खून की कमी, मधुमेह और गठिया सहित 23 बीमारियों की जांच की जा सकती है। यह आने वाले दिनों में दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए वरदान साबित होगी। खासकर उनके लिए जो जांच केंद्रों तक बहुत कम पहुंच पाते हैं और जिसके कारण कई बीमारियों का पता ही नहीं चल पाता। भटनागर का कहना है कि इस प्रयोगशाला की मदद से समय से बिल्कुल सही जांच कम खर्च में हो जाती है। इस प्रयोगशाला की अधिकतम कीमत 3.5 लाख रुपये है जिसमें ब्लड एनालाइजर, सेंट्रीफ्यूग, माइक्त्रो पाइपेट, इंक्यूबेटर, लैपटॉप जिसमें मरीज का डाटा मैनेजमेंट सिस्टम सॉफ्टवेयर और उपयोग की अन्य वस्तुएं हैं। इस पोर्टेबल लैब का इस्तेमाल सीमा सड़क संगठन अपने कारगिल, लेह, नगालैंड जैसे दूरदराज के चिकित्सालयों में कर रहा है। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) छत्तीसगढ़ के जंगलों में इसका इस्तेमाल कर रही है। हरियाणा के राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन और केरल में प्रायोगिक तौर पर इसे इस्तेमाल किया जा रहा है।

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