एक जरा सी भूल
एक जरा सी चूक आपकी दुनिया बदल सकती है। आप अफसोस करते रह जाते हैं लेकिन कुछ चीजों पर आपका वश नहीं होता। कोई इसे भाग्य कहता है, कोई इसे लापरवाही, लेकिन ये बातें जले पर नमक छिड़कने से कम नहीं होतीं।
एक जरा सी चूक आपकी दुनिया बदल सकती है। आप अफसोस करते रह जाते हैं लेकिन कुछ चीजों पर आपका वश नहीं होता। कोई इसे भाग्य कहता है, कोई इसे लापरवाही, लेकिन ये बातें जले पर नमक छिड़कने से कम नहीं होतीं। अगर वश में होता, आप चाहते वक्त से पीछे जाकर उस जरा सी असावधानी को बदल देते पर..बस बात वहीं रह जाती हैं..कुछ चीजों पर आपका वश नहीं होता।
मेगशेल्सन की दुनिया कुछ इसी तरह बदल गई जब वषरें की मेहनत एक जरा सी चूक से बेकार हो गई। दरअसल मेगशेल्सन को दुनिया का बड़े से बड़ा लौकी उगाने का बहुत शौक है। वह वर्षों से इसी में जी जान से लगा हुआ था। लौकी उगाने में उसने कई पुरस्कार भी जीते लेकिन अपने ही रिकॉर्ड को तोड़कर वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल होने का उसका सपना उस वक्त टूट गया जब प्रतियोगिता की अंतिम घड़ी में उसकी लौकी प्रतियोगिता की शर्ते पूरी न कर पाने के कारण इससे बाहर हो गई।
हुआ यह कि मेगशेल्सन ने 1500 पाउंड की लौकी उगाई। वह इस लौकी को अलास्का स्टेट फेयर में लगाना चाहता था। उसे जीत की पूरी उम्मीद थी लेकिन प्रतियोगिता के अंतिम क्षणों में उसे पता चला कि उसकी लौकी में एक छोटा सा छेद है। प्रतियोगिता की शर्तो के मुताबिक किसी भी तरह खराब हो गई या सड़ी हुई सब्जियां या फल प्रतियोगिता में भाग नहीं ले सकते थे क्योंकि ऐसी चीजें खाई नहीं जा सकतीं। इसलिए मेगशेल्सन की लौकी भी प्रतियोगिता का हिस्सा नहीं बन सकती थी।
मेगशेल्सन को दुनिया की सबसे बड़ी लौकी उगाने के शौक का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उसके करीबी कहते हैं कि वह सोते-जागते, उठते-बैठते बस लौकी उगाने के तरीके सोचता रहता है। मेगशेल्सन का शौक कहें या उसकी प्रतिभा, उसने लौकी उगाने में कई रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज किया है। 2004 में उसने 700 पाउंड की लौकी उगाकर रिकॉर्ड बनाया और 2006 में अपने ही रिकॉर्ड को 942 पाउंड की लउकी उगाकर तोड़ा। 2006 में इसने 1000 पाउंड की लौकी उगाकर फिर से अपना रिकॉर्ड तोड़ते हुए नया रिकॉर्ड बनाया।
मेगशेल्सन की उम्मीदवारी अलास्का स्टेट फेयर के लिए भले ही नहीं रही हो लेकिन इसे जानने वाले मेगशेल्सन को ही विजेता मानते हैं। इतनी मेहनत से उगाई इस लौकी में इतना छोटा सा छेद मेगशेल्सन की एक लापरवाही से हुई। दरअसल यह लौकी बहुत तेजी से बढ़ी थी। तेजी से बढ़ने के लिए मेगशेल्सन हर रोज इसमें कई गैलन पानी डाला करते थे। उस दिन गर्मी बहुत थी और तब तक लौकी भी काफी अधिक बड़ा हो चुका था, लेकिन मेगशेल्सन ने इसे नजअंदाज करते हुए उसमें 300 गैलन पानी डाला। लौकी मात्र 24 घंटे में 41 पाउंड बढ़ गया और इस तरह उसमें एक छोटा सा छेद भी हो गया। मेगशेल्सन अपनी असावधानी के लिए आज भी पछताते हैं।
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