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    अगर आपका ब्लड ग्रुप है नेगेटिव तो आप इस धरती के नहीं हैं!

    By Abhishek Pratap SinghEdited By:
    Updated: Wed, 29 Jun 2016 06:58 PM (IST)

    कुछ तो होगा तभी कहा गया है कि अगर आपका ब्लड ग्रुप नेगेटिव है तो आप इस धरती के तो नहीं हो। इस सच को जानें यहां ...और पढ़ें

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    हेडलाइन पढ़कर चौंकना वाजिब है लेकिन क्या करें इस खबर को बिना पढ़ाए भी नहीं रह सकते। आपके लिए ये जानकारी भी जरूरी है।

    एलियंस पर शोध करने वालों का दावा है कि सुदूर अतीत में दूसरे ग्रह से जीवों ने धरती का दौरा किया था। उन्होंने मनुष्यों की पुत्रियों को अपना जीवनसाथी बनाकर विशालकाय लोगों को जन्म दिया था, उन्हीं के वंशज है नेगेटिव ब्लड ग्रुप के लोग।

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    इस थ्योरी के अनुसार आरएच फेक्टरर्स के लोग मूल धरतीवासी हैं जो क्रम विकास के सिद्धांत से विकसित हुए हैं लेकिन नेगेटिव ग्रुप के लोग वानर की तुलना में कुछ दूसरे से विकसित हुआ समूह है।

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    84 से 85 प्रतिशत लोग, जिनका ब्लड ग्रुप पॉजीटिव है, वे वानर की नस्ल से आते हैं जिनमें ओ पॉजीटिव 38 प्रतिशत, बी पॉजीटिव 9 प्रतिशत, ए पॉजीटिव 34 प्रतिशत और एबी पॉजीटिव 3 प्रतिशत है। लेकिन 15 से 16 प्रतिशत नेगेटिव ब्लड ग्रुप वाले अलौकिक वंश ताल्लुक रखते हैं, जिनमें 7 प्रतिशत ओ नेगेटिव, 2 प्रतिशत बी नेगेटिव, 6 प्रतिशत एक नेगेटिव, 1 प्रतिशत एबी नेगेटिव के लोग है।

    सामान्य तौर पर 4 रक्त समूह के 4 प्रकार होते हैं- ए, बी, एबी और ओ। वैज्ञानिकों के अनुसार यह वर्गीकरण मानव शरीर पर बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने के लिए तैयार कोशिकाओं की सतह पर पाए जाने वाले प्रोटीन द्वारा किए गए हैं।

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    दरअसल, लाल रक्त कोशिकाओं की सतह पर स्थित, जो एक प्रतिजन (प्रोटीन) है, वह लाल रक्त कोशिका है। 85% इस एक ही आरएच फैक्टर के हैं और क्रमश: आरएच पॉजीटिव हैं जबकि शेष 15%, जिस पर यह नहीं है, वे आरएच नेगेटिव हैं। वैसे भारत में नेगेटिव ब्लड ग्रुप के 5 फीसदी ही लोग हैं लेकिन सबसे ज्यादा स्पेन और फ्रांस में हैं।

    क्या कहते हैं वैज्ञानिक :

    विज्ञान, विकास प्रक्रिया में आरएच नेगेटिव लोगों की मौजूदगी को प्राकृतिक घटना मानने से इंकार करता है। विज्ञान आरएच को इस तरह परिभाषित करता है कि यह एंटीजन डी मौजूदगी दर्शाता है। जो आरएच पॉजीटिव लोग होते हैं, उनके रक्त में एंटीजन डी होता है लेकिन आरएच नेगेटिव लोगों के रक्त में एंटीजन डी नहीं पाया जाता है।

    शरीर में विषाणुओं से लड़ने के लिए एंटीजंस पैदा किए जाते हैं। अगर किसी शरीर में एंटीजन पैदा नहीं किया जाता है लेकिन अगर इसे शरीर में बाहर से डाला जाता है तो यह एंटीजन के साथ अपने शत्रु की तरह से व्यवहार करेगा। विज्ञान के अनुसार क्यों एक आरएच पॉजीटिव मां का शरीर एक आरएच नेगेटिव बच्चे को अस्वीकार कर देता है, इसकी यही असली वजह है।

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    'योर न्यूज वायर' की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस सिद्धांत के अनुसार आरएच नेगेटिव लोगों का शरीर विचित्र गुणों को रखता है। इससे भी यह व्याख्या की जा सकती है कि क्यों एक आरएच पॉजीटिव मां का शरीर आरएच नेगेटिव बच्चे को अस्वीकार कर देता है। इस स्थिति के चलते ही बहुत से शिशुओं की मौत हुई है।

    नई थ्योरी के अनुसार :

    यह थ्योरी हमें सुमेरियन समय में वापस ले जाती है, जब एक अति उन्नत एलियन सफर करता हुआ कहीं और ब्रह्मांड से आया और उसने प्रथम अनुनाकी मानव समाज का निर्माण किया। 'अनुनाकी' सुमेरियन शब्द है जिसका प्रयोग स्वर्ग से निकाले गए लोगों के लिए होता था जिन्होंने दुनिया की पहली महान सुमेर सभ्यता को स्थापित और गतिशील किया।

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    वैज्ञानिकों का मानना है कि उन्हें आरएच पॉजीटिव और नेगेटिव के संबंध में एक दिलचस्प बात पता चली है। इस नई वैज्ञानिक थ्योरी के अनुसार सुदूर अतीत में अलौकिक प्राणियों द्वारा धरती का दौरा किया गया और यहां के लोगों को दास बनाने के इरादे से आनुवांशिक हेर-फेर करके आरएच नेगेटिव प्रजाति के विशालकाय मानवों का निर्माण किया गया होगा।

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    यह भी माना जाता है कि इन प्राचीन प्राणियों ने योजना बनाकर आदिम जाति को आनुवांशिक रूप से परिवर्तित कर दिया और उन्होंने सुदूर अतीत में दास के रूप में इस्तेमाल करने के लिए भी मजबूत और अधिक पर्याप्त प्राणियों को बनाया होगा।

    दिलचस्प है कि नेगेटिव आरएच की विशेषता घोर परिश्रम है। उदाहरणार्थ ब्रिटिश राजपरिवार जिन्होंने संभवत: अलौकिक वंश के बारे में विवादित सिद्धांतों को जन्म दिया। हालांकि इस परिकल्पना की पुष्टि नहीं की गई है। यह सवाल परेशान करता है कि कैसे सुदूर अतीत में धरती की सभ्य दुनिया की आबादी का एक छोटा-सा हिस्सा आनुवांशिक कोड है जिसे उन्नत अलौकिक प्राणी द्वारा बदल दिया गया।

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