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पांच पैसे की लड़ाई, सुलझाने में हाईकोर्ट ने 4 दशक बिताए

हमारे देश की कानून व्यवस्था कैसी है ये बात ये मामला पढ़कर समझ आ जाएगी...लोगों की जिंदगियां निकल गईं इंसाफ की तलाश में लेकिन इंसाफ तो अपनी आंखों पर पट्टी बांधे हुए है।

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Published: Tue, 09 Aug 2016 05:14 PM (IST)Updated: Tue, 09 Aug 2016 05:31 PM (IST)

आज जब देश में करोड़ों के भ्रष्टाचार मामले धड़ल्ले से हो रहे हों, ऐसे में पांच पैसे की एक लड़ाई का मामला दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यह मामला एक नहीं, दो नहीं, दस नहीं बल्कि पूरे 41 सालों से चला आ रहा है।

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मामला ये है कि 41 साल पहले एक कंडक्टर ने गलती से एक महिला को 15 पैसे की बजाय 10 पैसे का टिकट दे दिया था। टिकट चेकर ने कंडक्टर की गलती पकड़ ली और इस लापरवाही के लिए उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया।

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तब कंडक्टर ने अपनी नौकरी पाने के लिए अदालत का सहारा लिया। श्रम अदालत और हाईकोर्ट एक बार इस मामले में कंडक्टर के पक्ष में फैसला दे चुकी है लेकिन डी.टी.सी ने फिर से न्यायालय में पुर्नविचार याचिका दायर कर दी है, जिस वजह से यह मामला खिंचता चला जा रहा है।

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अब तो हालात ऐसे हो गए हैं कि अदालत चाहे तो भी इस कंडक्टर को नौकरी पर नहीं रखवा सकती क्योंकि वह रिटायरमेंट की उम्र पार कर चुका है। लिहाजा, अब कंडक्टर पेंशन के सुविधा की मांग कर रहा है। उसने कहा है कि कम से कम उसका मामला जब तक निपटे, तब तक उसे पेंशन की सुविधा तो दे दी जाए।

जबकि डीटीसी का कहना है कि वो इस मामले के खत्म होने तक याचिकाकर्ता को नौकरी से जुड़ा कोई लाभ नहीं देगी। साथ ही ये भी कहा कि जिस समय पेंशन की योजना शुरु की गई थी, उस वक्त वह नौकरी पर नहीं था, ऐसे में पेंशन की सुविधा उसे नहीं दी जा सकती।

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