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    अब ईमेल से भी दर्ज होंगी यौन उत्पीड़न की शिकायतें

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    Updated: Thu, 20 Feb 2014 08:26 AM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने अपने सीमा क्षेत्र में यौन उत्पीड़न के मामलों से निपटने के लिए एक कमेटी गठित की है। इस कमेटी ने व्यथित महिलाओं की शिकायतें ईमेल और पोस्ट के माध्यम से भी स्वीकार करने का निर्णय लिया है। शीर्ष अदालत के परिपत्र में कहा गया है कि जेंडर सेंसिटाइजेशन एंड सेक्सुअल हरासमेंट ऑफ वुमन ऐट

    नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अपने सीमा क्षेत्र में यौन उत्पीड़न के मामलों से निपटने के लिए एक कमेटी गठित की है। इस कमेटी ने व्यथित महिलाओं की शिकायतें ईमेल और पोस्ट के माध्यम से भी स्वीकार करने का निर्णय लिया है।

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    शीर्ष अदालत के परिपत्र में कहा गया है कि जेंडर सेंसिटाइजेशन एंड सेक्सुअल हरासमेंट ऑफ वुमन ऐट सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया (प्रीवेंशन, प्रोहिबिशन एंड रिड्रैसल) रेगुलेशन (जीएसआइसीसी), 2013 के तहत सदस्य सचिव व पंजीयक रचना गुप्ता के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट को लिखित में शिकायत भेज सकती हैं।

    कहा गया है कि इस कमेटी की पहली बैठक पिछले साल नौ दिसंबर को हुई थी। इसका मकसद इस रेगुलेशन को प्रभावी ढंग से लागू करने के तौर-तरीकों को अंतिम रूप देना और इससे जुड़े मुद्दों पर फैसला लेना था। परिपत्र में कहा गया है कि शिकायतें पंजीकृत डाक, कुरियर, स्पीड पोस्ट या ईमेल के जरिये भेजी जा सकती हैं। दिए गए पते पर खुद आकर भी शिकायत सौंपी जा सकती है। यह भी कहा गया है कि जांच की कार्यवाही की गोपनीयता बरकरार रखी जाएगी। रचना गुप्ता की मेल आइडी गुप्ता डॉट रचना ऐट द रेट ऑफ इंडियनजूडिशीयरी डॉट जीओवी डॉट इन है।

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    इस साल जनवरी में कमेटी ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा था कि नवंबर 2013 में इसकी शुरुआत के बाद से उसे दो महिला वकीलों की ओर से दो शिकायतें मिली हैं और वे निपटारे के लिए लंबित हैं। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पी सतशिवम ने सुप्रीम कोर्ट की महिला न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में जीएसआइसीसी का गठन किया है। इसमें छह अन्य महिला सदस्य भी हैं। इसके दो सदस्य बाहरी हैं और वे किसी भी रूप में सुप्रीम कोर्ट से नहीं जुड़े हैं। यह विशाखा मामले में कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की शिकायतों को निपटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की दी गई व्यवस्था के अनुरूप है।

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