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    चुनाव बाद किसी दल से समझौता नहीं: अमित शाह

    By Manish NegiEdited By:
    Updated: Thu, 23 Feb 2017 12:25 AM (IST)

    भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि उप्र का परिणाम देश के विकास की रूपरेखा तय करने वाला होगा।

    चुनाव बाद किसी दल से समझौता नहीं: अमित शाह

    नई दिल्ली, प्रेट्र। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा है कि उप्र में परिणाम आने के बाद त्रिशंकु विधानसभा होने की स्थिति में उनकी पार्टी बसपा व अन्य किसी दल के साथ समझौता नहीं करेगी। हालांकि वो उप्र में जीत को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त हैं। उनका कहना है कि उप्र, उत्तराखंड व गोवा में पार्टी अपने बूते पर सरकार बनने जा रही है। पंजाब में त्रिकोणीय संघर्ष के चलते कहना मुश्किल है कि कौन सत्ता में आएगा।

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    भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि उप्र का परिणाम देश के विकास की रूपरेखा तय करने वाला होगा। चुनाव में पीएम मोदी के साथ खुद उन्होंने जीतोड़ मेहनत की है। उन्हें लगता है कि जनता भाजपा की सरकार इस सूबे में बनाने का मन बना चुकी है। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 80 में से 71 सीटें जीती थी। इस विधानसभा चुनाव को उसका लिटमस टेस्ट माना जा रहा है। शाह खुद भी मानते हैं कि इस बार का परिणाम 2019 के आम चुनाव की दिशा भी तय करेगा।

    उप्र में सीएम का उम्मीदवार घोषित न करने के मसले पर शाह ने कहा कि यह भाजपा की रणनीति का एक हिस्सा है। मुख्यमंत्री वही बनेगा जिसे विधायक चाहेंगे। प्रधानमंत्री के भाषणों को लेकर कांग्रेस की आलोचना पर शाह ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं है। पीएम ने श्मशान व कब्रिस्तान के निर्माण के लिए दी जाने वाली सहायता राशि को देकर टिप्पणी की। एक तरफ 12 सौ करोड़ रुपये जहां कब्रिस्तान के लिए जारी किए गए वहीं श्मशान के निर्माण के लिए इसकी आधी रकम भी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने नहीं दी। जबकि हिंदू-मुस्लिम की आबादी का प्रदेश में अनुपात 80-20 का है।

    सीएम का रवैया सांप्रदायिक था। उनका कहना था कि भाजपा ने गुजरात में तो इस तरह का भेदभाव नहीं किया। जब उनसे पूछा गया कि क्या चुनाव के परिणाम नोटबंदी पर जनता की राय को दर्शाएंगे। उनका कहना था कि मीडिया ऐसा मानती है तो उन्हें आपत्ति नहीं है। प्रमुख प्रतिद्वंदी दल के बारे में पूछने पर वो बोले, पहले दूसरे फेज में बसपा तो तीसरे में सपा उनके मुकाबले में दिखी। भाजपा का पूरे प्रदेश में जनाधार है। राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाले चंदे पर वो बोले कि पारदर्शिता जरूरी है। दलों की फंडिंग आरटीआइ के तहत आनी चाहिए लेकिन केवल कैश लेनदेन।

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