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जानिए कौन हैं जाट? हरियाणा में OBC आरक्षण को लेकर क्यों हो रहा है प्रदर्शन

हरियाणा में जाट आंदोलन की मांग हिंसक रूप ले चुकी है। सेना की कई टुकड़ियों को भेजा जा रहा है। कई इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया गया है। आइए हम आपको बतातें हैं कौन हैं जाट और क्यों हो रही है ओबीसी आरक्षण की मांग।

By Atul GuptaEdited By: Published: Sat, 20 Feb 2016 11:33 AM (IST)Updated: Sat, 20 Feb 2016 12:20 PM (IST)
जानिए कौन हैं जाट? हरियाणा में OBC आरक्षण को लेकर क्यों हो रहा है प्रदर्शन

नई दिल्ली। जाटों को सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थानों में ओबीसी श्रेणी में शामिल करने की मांग कर रहे जाट समाज के लोगों ने शुक्रवार को हरियाणा के कई जिलों में आगजनी और तोड़फोड़ की। इस दौरान उन्होंन कई सरकारी और निजी वाहनों को आग के हवाले कर दिया। जाटों के इस आंदोलन की वजह से करीब 500 ट्रेनों की आवाजाही पर असर पड़ा है वहीं करीब 72 ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है। सरकार ने रोहतक समेत कई जिलों में सेना को बुला लिया गया है।
आइए हम आपको बताते हैं कि कौन हैं जाट और कब से चल रही है आरक्षण की मांग।

कौन हैं जाट?
जाट उत्तरी भारत का एक कृषक समुदाय है जिसे परंपरागत रूप से पिछड़ा हुआ नहीं माना गया है।

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मुख्यमंत्री ने जाटों को क्या दिया था प्रस्ताव?
मुख्यमंत्री ने जाटों को एक आर्थिक आधार पर एक खास पिछड़े तबके के रूप में आरक्षण देने का प्रस्ताव दिया था। लेकिन जाट ओबीसी के अंतर्गत आरक्षण की मांग पर अड़े हुए हैं।

आखिर OBC आरक्षण की मांग क्यों कर रहे हैं जाट?

हरियाणा की कुल जनसंख्या में जाटों की संख्या करीब 29 प्रतिशत है और उन्हें आर्थिक आधार पर संपन्न माना जाता है और वे पढ़ाई में भी अच्छे होते हैं। जाटों का मानना है कि उन्हें ओबीसी श्रेणी में डाल दिया जाता है तो उन्हें सरकारी नौकरी मिलने में आसानी होगी।

जाट कोटे पर सुप्रीम कोर्ट का बयान

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर कहा था कि सिर्फ जाति ही आरक्षण का आधार नहीं हो सकती। सामाजिक पिछड़ापन ही पिछड़ेपन को निर्धारित करने का आधार है।

अगर हरियाणा जाटों को ओबीसी आरक्षण की श्रेणी में शामिल कर लेता है तो वो सुप्रीम कोर्ट के 50 प्रतिशत के अधिकतम कोटे के फैसले की अवमानना होगी।

1990 में भी की थी आरक्षण की मांग

1991 में वीपी सिंह की सरकार के समय में जब मंडल कमीश्न की रिपोर्ट आई थी तब भी जाटों ने इसका विरोध किया था।

1997 में जाटों ने हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में केंद्रीय ओबीसी श्रेणी में शामिल करने की मांग की थी जिसे राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग ने रद्द कर दिया था।

साल 2002 में एक पैनल ने हरियाणा में जाटों के पिछड़ेपन को लेकर सर्वे किया। सर्वे के परिणाम के मुताबिक जाट हरियाणा में दूसरी जातियों के मुकाबले उच्च हैं।

साल 2005 में कांग्रेसी नेता भुपेंद्र सिंह हुड्डा ने जाटों को ओबीसी आरक्षण देने का वादा किया था और वो मुख्यमंत्री बने थे ।

2014 में हुड्डा सरकार ने जाट समेत चार जातियों को 10 प्रतिशत आरक्षण के साथ विशेष पिछड़ा वर्ग की श्रेणी में शामिल किया।

जुलाई 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने विशेष पिछड़ा वर्ग की सिफारिशों को मानने से मना कर दिया जिसके बाद हाईकोर्ट ने विशेष पिछड़ा वर्ग आरश्रण को दरकिनार कर दिया।

मार्च 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की उस सिफारिश को नामंजूर कर दिया जिसके तहत नौ राज्यों में जाटों को ओबीसी आरक्षण दिए जाने की सिफारिश की गई थी। इस राज्यों में हरियाणा, बिहार, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड शामिल किए गए थे।

पढ़ें- जाट आरक्षण की मांग कर रहे आंदोलनकारियों से राजनाथ की शांति बनाए रखने की अपील


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