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    मोदी से हाथ मिलाने वाला काफिर क्यों : जफर सरेशवाला

    By Sachin BajpaiEdited By:
    Updated: Fri, 17 Apr 2015 09:41 PM (IST)

    मौलाना आजाद नेशनल उर्दू विश्वविद्यालय हैदराबाद के चांसलर और गुजरात के नामी उद्योगपति जफर यूनुस सरेशवाला ने शुक्रवार को मोदी विरोधी ताकतों पर तबीयत से हमला बोला। सवाल पूछा, जब नरेंद्र मोदी से मुलायम, लालू और ममता मिल सकते हैं तो आजम खां या जफर सरेशवाला क्यों नहीं मिल सकते?

    अलीगढ़ । मौलाना आजाद नेशनल उर्दू विश्वविद्यालय हैदराबाद के चांसलर और गुजरात के नामी उद्योगपति जफर यूनुस सरेशवाला ने शुक्रवार को मोदी विरोधी ताकतों पर तबीयत से हमला बोला। सवाल पूछा, जब नरेंद्र मोदी से मुलायम, लालू और ममता मिल सकते हैं तो आजम खां या जफर सरेशवाला क्यों नहीं मिल सकते? मोदी से हाथ मिलाने वाला मुसलमान क्या काफिर हो जाता है? कांग्रेस का नाम लिए बगैर कहा कि 65 साल से हम दूसरों को बंदूक चलाने के लिए अपना कंधा देते आए हैं। ऐसी बेवकूफ कौम कहीं नहीं देखी। सरेशवाला को यहां 'दख्तूर-ए-अदब' खिताब से नवाजा गया।

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    शुक्रवार को अलीगढ़ में जामिया उर्दू के स्थापना दिवस समारोह में सरेशवाला 'मुसलमानों की समस्याएं व हमारी जिम्मेदारियां' विषय पर जमकर बोले। कहा, मेरी नजर में मुसलमान, मुसलमान है ही नहीं। हो सकता है कि बात बुरी लगे और फतवा भी जारी हो जाए, मगर मुझे चिंता नहीं। अभिनेता सलमान के पिता सलीम खान के लेख का हवाला देते हुए कहा कि देश में 15 करोड़ मुसलमान हैं मगर माफ करना, मुझे तो एक भी नहीं मिला। असल में हमने कभी सोचा ही नहीं कि हम कैसे मुसलमान हैं। हम देश को देने आए थे। आज लेने वाले हो गए। देना छोड़ दिया तो भिखमंगे हो गए। आरक्षण से लेकर पता नहीं क्या-क्या मांग रहे हैं?

    दो वक्त याद आता है इस्लाम

    सरेशवाला ने कहा कि हमें इस्लाम सिर्फ दो बार याद आता है। बीवी से तलाक लेते वक्त या फिर बहन की संपत्ति हड़पते समय। हम कैसे मुसलमान हैं, कब्रिस्तान, वक्फ बोर्ड की जमीन भी बेचे जा रहे हैं? बरेली में देवबंदी की मस्जिद में सब नमाज नहीं पढ़ सकते? कहा, अजान का विरोध हुआ पर 1200 साल में हम अजान का मतलब तक नहीं बता पाए?

    कंपाउंडर से नहीं डॉक्टर से इलाज कराओ

    सरेशवाला ने कहा कि मोदी साहब की सोच पॉजिटिव है। 2002 से पहले गुजरात में फसाद कोई नई चीज नहीं थी। शुक्र है, उसके बाद एक बार भी वहां कर्फ्यू नहीं लगा। चुटकी भी ली, उत्तर प्रदेश-बिहार के मुसलमान कब तक कंपाउंडर से इलाज कराएंगे? मोदी से जुड़े जो सवाल हैं, मिलकर दूर करो।

    अयोध्या मामला बातचीत से सुलझे

    कहा कि अयोध्या में विवादित ढांचा विध्वंस मामला बातचीत के जरिये सुलझना चाहिए, अदालत के जरिये नहीं।

    पढ़ें : अब मुसलमान को सिर्फ दो बार इस्लाम याद आता है : सरेशवाला