जानिए, क्यों तमिलनाडु में राजनेताओं को लोग जान से भी ज्यादा चाहते हैं ?
इतिहास में ऐसे कई उदाहरण देखने को मिल जाएंगे, जिसमें यह लगाव पराकाष्टा पर जाता दिखाई देता है।
नई दिल्ली, जेएनएन। 22 सितंबर से अस्पताल में भर्ती तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता का सोमवार की देर रात निधन हो गया। जिसके बाद तमिलनाडु में सात दिनों का राजकीय शोक घोषित कर दिया गया है। जयललिता के निधन के बाद उनके समर्थक शोक में डूब गए है।
राजनेताओं और अभिनेताओं के प्रति है गहरा लगाव
तमिलानाडु की जनता ने अपने मुख्यमंत्री के स्वस्थ हो जाने के लिए पूजा-अर्चना-प्रार्थना के स्तर पर जो भी हो सकता था, वो किया। व्यक्ति पूजा भारत के सामंतवादी चरित्र में ही निहित है, लेकिन दक्षिण भारतीय खासतौर पर तमिलनाडु में यह और भी ज्यादा दिखाई देता है। वहां राजनेताओं ही नहीं, फिल्म अभिनेताओं के लिए भी लोगों का गहरा लगाव देखने को मिलता है।
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कल्याणकारी योजनाएं के माध्यम से भावनात्मक रूप से जुड़ जाते हैं लोग
गौरतलब है कि दो साल पहले आय से अधिक संपत्ति के मामले में तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता जेल में गई थी तो उनके कई प्रशंसकों ने आत्महत्या कर ली थी। जानकारों का मानना है कि यहां के लोग जनकल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से राजनेताओं से भावनात्मक रूप से जुड़ जाते हैं। जयललिता ने तमिलनाडु में इसी साल अम्मा ब्रांड पानी शुरू किया था। इसके अलावा इस नाम से कई कल्याणकारी योजनाएं भी शुरू की गई थीं।
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इतिहास पर एक नजर
इतिहास में ऐसे कई उदाहरण देखने को मिल जाएंगे, जिसमें यह लगाव पराकाष्टा पर जाता दिखाई देता है। भाषाई आधार पर राज्यों के बंटवारे के समय रामलू की मौत के बाद का नज़ारा हो या आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएसआर रेड्डी की हेलिकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु हो, लोग भावुक होकर अपने जीवन का भी कोई मोल नहीं समझते।
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22 सितंबर से अस्पताल में भर्ती हैं जयललिता
बता दें कि जयललिता कई दिनों से फेफड़ों में संक्रमण होने के कारण चेन्नै के अपोलो अस्पताल में भर्ती थीं। 68 वर्षीय जयललिता को 22 सितंबर को अस्पताल में दाखिल कराया गया था। उन्होंने बुखार और शरीर में पानी की कमी की शिकायत की थी। उन्हें फेफड़ों की जकड़न की भी शिकायत थी। डॉक्टरों ने उन्हें लंबे समय तक अस्पताल में ही रहने की सलाह दी थी। उनके इलाज के लिए एम्स और लंदन के एक डॉक्टर समेत कई विशेषज्ञों की टीम लगी हुई थी।