Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ..तो पंजाब के फाजिल्का पर हो जाता पाकिस्तान का कब्जा

    By Edited By:
    Updated: Sun, 16 Dec 2012 10:09 AM (IST)

    उन्नीस सौ एकहत्तर में सोलह दिसंबर को पूरा देश पाकिस्तान पर ऐतिहासिक जीत का जश्न मना रहा था। पंजाब के फाजिल्का के लिए भी यह दिन विशेष महत्व रखता है, क् ...और पढ़ें

    Hero Image

    फाजिल्का [अमृत सचदेवा]। उन्नीस सौ एकहत्तर में सोलह दिसंबर को पूरा देश पाकिस्तान पर ऐतिहासिक जीत का जश्न मना रहा था। पंजाब के फाजिल्का के लिए भी यह दिन विशेष महत्व रखता है, क्योंकि उन्नीस सौ इकहत्तर के युद्ध में पाकिस्तान की सेना फाजिल्का पर कब्जे में कामयाबी के बिल्कुल निकट पहुंच गई थी, लेकिन भारतीय सेना के एक सौ अस्सी से अधिक रणबांकुरों ने बीएसएफ व होमगार्ड के साथ मिलकर उनका सामना किया और अपने प्राणों की आहुति देकर उन्हें आगे बढ़ने से रोका। इस तरह फाजिल्का को बचा लिया गया। उन वीर शहीदों की गांव आसफवाला में नब्बे फीट लंबी चिता बनाकर पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। बाद में उक्त पवित्र जगह को स्मारक का रूप देकर वीरों को समाधि बनाई गई।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पाकिस्तान ने भारत पर वर्ष 1965 और 1971 में दो बार हमले किए थे और दोनों बार उसे मुंह की खानी पड़ी थी। दोनों जंगों के दौरान फाजिल्का सेक्टर में लड़ी गई लड़ाई में चार जाट रेजीमेंट के 82 जवान, 15 राजपूत रेजीमेंट के 62, असम रायफल्स के 39 तथा 18 अश्वरोही सेना के चार जवान शहीद हुए थे। इसके अलावा अन्य मोर्चो पर लड़ते हुए विभिन्न बटालियनों के जवानों की याद में आसफवाला समाधि को ही संयुक्त समाधि का दर्जा दे दिया गया। यह समाधि दोनों युद्धों में शहीद हुए भारतीय वीरों के लिए मां की गोद से कम नहीं है।

    वर्ष 1972 में बनी समाधि का लोकार्पण प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री व बाद में देश के राष्ट्रपति बने ज्ञानी जैल सिंह ने किया था। यह समाधि अब देशभक्तों के लिए जैसे तीर्थ स्थान बन चुकी है। समाधि परिसर में ही एक वार मेमोरियल बनाकर सभी शहीदों के चित्र, जंग के दौरान पाकिस्तानी सैनिकों से जब्त गए सामान और युद्ध का हाल बताती पेंटिंग्स सजाई गई है।

    मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर