दो लाख में लड़ लिया था लोकसभा चुनाव
ब्लाक प्रमुख से राजनीतिक कैरियर शुरू करने के बाद इंदिराजी की कृपा पर पहले विधान परिषद सदस्य बने उसके बाद लोकसभा सदस्य बने पूर्व सांसद उमाकांत मिश्र हालांकि इस समय सक्रिय राजनीति से दूर हैं। 88 बसंत देख चुके श्री मिश्र स्वास्थ्यगत कारणों से सक्रिय नहीं हो पा रहे हैं। बातचीत में कहते हैं कि वर्ष 1
[अरुण तिवारी], मीरजापुर। ब्लाक प्रमुख से राजनीतिक कैरियर शुरू करने के बाद इंदिराजी की कृपा पर पहले विधान परिषद सदस्य बने उसके बाद लोकसभा सदस्य बने पूर्व सांसद उमाकांत मिश्र हालांकि इस समय सक्रिय राजनीति से दूर हैं। 88 बसंत देख चुके श्री मिश्र स्वास्थ्यगत कारणों से सक्रिय नहीं हो पा रहे हैं।
बातचीत में कहते हैं कि वर्ष 1962 में हलिया से ब्लाक प्रमुख चुने गए। उसके बाद 1974-76 व 1981 तक वाराणसी-मीरजापुर से विधान परिषद सदस्य बने। यहां से सांसद रहे कांग्रेस नेता अजीज इमाम की मौत के बाद इंदिरा जी ने मीरजापुर-भदोही से वर्ष 1981 में उन्हें टिकट दिया और वह सांसद बन गए। वर्ष 1984 में दोबारा सांसद बने। वर्ष 1989 में चुनाव हार गए। वर्तमान चुनाव व राजनीतिक परिदृश्य पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि उस समय उनका दो लाख खर्च हुआ था।
कार्यकर्ताओं में काफी उत्साह रहा। लोग तन-मन-धन से चुनाव अभियान में जुटे थे। सब में समर्पण का भाव था। लोग मिशन समझकर चुनाव लड़ते थे। प्रत्याशी पर बहुत ध्यान नहीं देते थे। अब स्थिति बदल चुकी है। इस बार आयोग कुछ ज्यादा ही सख्त है जिसकी वजह से प्रत्याशी खुलकर धन की बरसात नहीं कर पा रहे हैं। वर्तमान में श्री मिश्र राजनीति की दशा देख आक्रोशित हो जाते हैं लेकिन कुछ न कर पाने की विवशता उन्हें उद्वेलित करती रहती है।
कहते हैं कि निर्वाचन आयोग ही राजनीतिक माहौल को सुधार सकता है। इसकी शुरुआत भी हो चुकी है। उन्होंने कहा कि परिवर्तन का दौर चल रहा है और नेताओं को सुधरना होगा। गुजरे जमाने और नेताओं के आदर्श की चर्चा करने पर पूर्व सांसद थोड़ी देर लिए रूक जाते हैं। कहते हैं पहले नेता और दल देश व समाज के काम आने में अपनी सकारात्मक भूमिका निभाते थे। आज सिर्फ अपनी झोली भरी जा रही है। इस हालात के लिए ऐसे लोग जिम्मेदार हैं जो धनबल के सहारे टिकट बांटते हैं। अब तो नेताओं में नैतिकता कम ही झलकती है।
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