मौत का इंतकाम या बेमन शादी का अंजाम..
पटना, जागरण टीम। महज तीन साल पहले यानी 200
पटना, जागरण टीम। महज तीन साल पहले यानी 2009 में बेटी डा. प्रियंका को इंदौर के डा. रोहित के साथ विदा करने वाले मां-बाप गायत्री व पीसी पांडेय ने ख्वाब में भी नहीं सोचा होगा कि जिसे दामाद बनाया है वही एक दिन उनका कातिल बनेगा। कत्ल कई सपनों का हुआ।
भाई पियूष ने बहन के साथ मां-बाप को भी खो दिया। आखिर क्या वजह थी कि एक होनहार चिकित्सक अपनी दुनिया खत्म करने के बाद खुद फांसी पर लटक गया?
इंदौर में हुई सनसनी से लोग हतप्रभ है। लोगों को कई सवालों के जवाब का इंतजार है। वजह बताई जा रही है कि मां [प्रियंका] द्वारा घरेलू कलह में दुधमुंही बेटी सुही [छह माह] की हत्या कर दी, जिससे बाप [रोहित] जल्लाद बन गया और तीन हत्याओं को अंजाम दे दिया। यह बात डा. रोहित द्वारा चार लाशों के बीच बैठ रात में लिखे गए 14 पन्नों के सुसाइड नोट में दर्ज है।
हंसमुख और मिलनसार बताए जाने वाले डा. रोहित में इतनी हिम्मत कहां से आई कि तीन हत्या करने के बाद वह रातभर बैठा रहा और सुबह 9 बजे के आसपास खुद फांसी पर झूल गया? पहेली उलझी है। सुलझाने को इंदौर पुलिस की कड़ी मशक्कत की दरकार है। हालांकि प्रियंका के मौसा डीपी त्रिपाठी डा. रोहित पर हत्या का शक नहीं जता रहे हैं। उनका कहना है कि रोहित ऐसी हरकत नहीं कर सकता है। उनका सवाल है कि कहीं किसी ने बड़ी साजिश के तहत वारदात को अंजाम न दिया हो? अकेले रोहित इतनी बड़ी वारदात नहीं कर सकता है।
डा. रोहित के पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक वह प्रिंयका से शादी करने को राजी नहीं था। यह बेमन से हुआ विवाह था। रीवा के रोहित ने मां-बाप की जिद पर यह विवाह किया था। छह माह पहले सूही के जन्म के पूर्व प्रियंका की मां आई थीं तो पति- पत्नी के बीच दीवार बढ़ गई थी। घरेलू कलह चरम पर पहुंच गई थी। ससुराल पक्ष के बेजा दखल ने हालात विस्फोटक कर दिए थे। जब ज्वालामुखी फटा तो सब कुछ नाश हो गया। गर्म लावे में कोई नहीं बचा।
30 अगस्त को हुए थे रवाना
हादसे के एक दिन पहले यानी 30 अगस्त को स्व. पांडेय पत्नी, बेटी व नतिनी के साथ एयर इंडिया की फ्लाइट से दिल्ली गए थे। फिर, वहां से इंदौर चले गए।
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