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    उड़ी के दुश्मन पर कार्रवाई के लिए वक्त और जगह हम तय करेंगे: भारतीय सेना

    By Rajesh KumarEdited By:
    Updated: Mon, 19 Sep 2016 09:36 PM (IST)

    डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस रणबीर सिंह ने कड़े लहजे में कहा कि दुश्मन को जवाब देने के लिए वक्त और जगह हम तय करेंगे।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारतीय सेना ने उड़ी के भयानक आतंकी हमले का मुंहतोड़ जवाब देने की हुंकार भरी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई शीर्षस्थ रणनीतिक और सुरक्षा बैठक के बाद सेना ने एलान किया है कि आतंकी हमले पर जवाबी कार्रवाई करने का अब हमारा अधिकार है। सेना के इस एलान से साफ है कि बेहद जरूरी होने पर पाकिस्तान के खिलाफ सीमित सैन्य विकल्प के इस्तेमाल का भारत का विकल्प खुला है।

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    मगर इस विकल्प के इस्तेमाल से पहले प्रधानमंत्री ने दुनिया भर में पाकिस्तान के आतंकी चेहरे को बेनकाब करने के लिए आक्रामक कूटनीतिक अभियान को मंजूरी दे दी है। इसके तहत बेहद पुख्ता सबूतों के साथ पाकिस्तान को दुनिया में कूटनीतिक तौर पर अलग-थलग करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। रणनीतिक और सुरक्षा बैठकों के बाद प्रधानमंत्री की राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से उड़ी हमले पर हुई चर्चा को भी सरकार की बेहद गंभीर जवाबी कदम उठाने की तैयारी के रुप में देखा जा रहा है।

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सोमवार को सात रेसकोर्स पर चली अहम रणनीतिक व सुरक्षा बैठक में उड़ी हमले के बाद हालात की समीक्षा के दौरान राजनीतिक नेतृत्व के लिए गए फैसलों के अनुरुप डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल रणवीर सिंहने शाम को प्रेस कांफ्रेंस में यह बयान दिया। उन्होंने कहा कि इस तरह की आतंकवादी और घुसपैठी हरकतों का माकूल जवाब देने की भारतीय सेना की पूरी क्षमता है और इस कृत्य के बाद अब हमारा अधिकार भी।

    उड़ी में सेना के कैंप पर हमला करने वाले पाकिस्तानी आतंकियों से बरामद सामानों का ब्यौरा देते हुए भी डीजीएमओ ने पाक को सीधे कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि उड़ी ऑपरेशन खत्म हो चुका है और मारे गए आतंकियों के पास से चार एके-47 राइफलें, चार अंडर बैरल ग्रेनेड लांचर, 39 अंडर बैरल ग्रेनेड लांचर ग्रेनेड, पांच ग्रेनेड, दो रेडियो सेट, दो जीपीएस, दो मैप शीट्स, दो मैट्रिक्स, एक मोबाइल फोन, भारी मात्रा में पाकिस्तान में निर्मित खाने-पीने की चीजों के पैकेट और दवाएं बरामद हुई हैं। इन सभी पर पाकिस्तानी मार्किंग्स हैं।

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    उच्चपदस्थ सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी की गृहमंत्री राजनाथ सिंह, वित्तमंत्री अरुण जेटली, रक्षामंत्री मनोहर पार्रिकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग, रॉ और आईबी प्रमुखों के साथ हुई शीर्षस्थ बैठक में ही यह तय हुआ कि पाकिस्तान को दुनिया में बेनकाब करने के कूटनीतिक अभियानों में इन सबूतों की मदद ली जाएगी। इस बैठक में उडी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ जवाबी कार्रवाई के विकल्पों पर गंभीर विचार हुआ।

    शीर्ष सूत्रों के मुताबिक इस दौरान सरकार का साफ मानना था कि उडी के बाद पाक को जल्द ही सख्त संदेश देना होगा। इसका तौर तरीका कुछ भी हो सकती है। आर्थिक प्रतिबंध, कूटनीतिक दबाव और पाक को आतंकी देश घोषित करन के कवायद जैसी कोई भी कार्रवाई हो सकती है। मगर सरकार ने यह भी तय किया है कि मीडिया की सुर्खियों के दबाव में जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाया जाएगा। पाक के आतंकी चेहरे को बेनकाब करना पहली रणनीति होगी। बेहद अपरिहार्य स्थितियों में ही जरूरी हुआ तो एलओसी के पार जाकर सीमित सैन्य कार्रवाई की जा सकती है।

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    समझा जाता है कि इस लिहाज से सेना प्रमुख ने सैन्य तैयारियों और सीमित सैन्य विकल्पों से मोदी को अवगत कराया। इसी दौरान शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व ने सेना को अपने हिसाब से समय और जगह तय कर ऐसी कार्रवाईयों के लिए तैयार रहने का संदेश दिया। इसके बाद ही डीजीएमओ ने सेना की ओर से शाम को इसका एलान किया। इसको लेकर सरकार की गंभीरता का अंदाजा इससे भी लगता है कि मोदी ने शाम को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से उड़ी हमले के बाद के हालातों से उन्हें रुबरू कराया।

    राष्ट्रपति तीनों सेनाओं के शीर्षस्थ कमांडर हैं और इस लिहाज से पीएम की इस मौके पर मुलाकात के भी अपने मायने हैं। पाकिस्तान को दुनिया में आतंक का सबसे खौफनाक चेहरा साबित करने के कूटनीतिक अभियान के साथ-साथ उस पर आर्थिक बंदिशें लगवाने के भी प्रयास होगा। सूत्रों ने बताया कि पाक पर रणनीतिक शिकंजा कसने के लिए बलूचिस्तान में चल रहे आजादी के आंदोलनों का भी खुला समर्थन करने का कूटनीतिक फैसला भी लिया जा सकता है। प्रधानमंत्री की अगुवाई में हुई यह बैठक अघोषित रुप से कैबिनेट की सुरक्षा मामलों की समिति की बैठक ही रही। क्योंकि विदेशमंत्री सुषमा स्वराज के अलावा सीसीएस के सभी सदस्य इसमें मौजूद थे।