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सीमा विवाद: युद्ध से चीन को सिवाय मौतों के और कुछ नहीं मिलेगा

भारत-चीन सीमा के 3,488 किलोमीटर में अन्य क्षेत्रों में भी संघर्ष फैलने की संभावना है, जिसमें से बड़े भाग विवादित हैं।

By Mohit TanwarEdited By: Published: Mon, 21 Aug 2017 10:03 AM (IST)Updated: Mon, 21 Aug 2017 02:51 PM (IST)
सीमा विवाद: युद्ध से चीन को सिवाय मौतों के और कुछ नहीं मिलेगा
सीमा विवाद: युद्ध से चीन को सिवाय मौतों के और कुछ नहीं मिलेगा

नई दिल्ली,जेएनएन। डोकलाम को लेकर भारत और चीन के बीच बढ़ रही तनातनी युद्ध का रूप ले सकती है, लेकिन इससे चीन को कुछ हासिल नहीं होगा। बड़े संघर्ष पर लोगों की जान जाने का खतरा अधिक है। चीन की ओर से कहे जा रहे भड़कीले बयानों के बावजूद कूटनीति से ही मामले का हल निकल सकता है।

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अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक शीर्ष सरकारी अधिकारियों का अनुमान है कि भारत-चीन सीमा पर डोकलाम और अन्य संभावित संघर्ष की जगहों पर चीन के भड़कने से उसे कोई ठोस क्षेत्रीय या रणनीतिक लाभ नहीं होगा। युद्ध के बाद भी इस मामले में कोई स्पष्ट विजेता या कोई हारा हुआ साबित नहीं होगा।

यदि भारत ने 1962 के युद्ध में अपमान को सहा नहीं होता, तो चीन एशियाई शक्ति के रूप में प्रख्यात होता और अमेरिकी के लिए बढ़ती चुनौती के रूप में वह खड़ा हो सकता था। मगर, अब सितंबर में कम्युनिस्ट पार्टी कांग्रेस और लीडरशिप कॉन्क्लेव से पहले उसके सामने एक अप्रिय माहौल पैदा हो गया है।

भारत-चीन सीमा के 3,488 किलोमीटर में अन्य क्षेत्रों में भी संघर्ष फैलने की संभावना है, जिसमें से बड़े भाग विवादित हैं। यह दोनों पक्षों के लिए चिंताजनक है। खुद को डोकलाम में भौगोलिक स्थिति भारत को उच्च भूमि और एक अलग सैन्य लाभ देती है। सीमा के बुनियादी ढांचे में भारत भले ही चीन से पीछे है, लेकिन चीन के आकलन के विपरीत संघर्ष बहुत असमान होगा। युद्ध होने की स्थिति में दोनों देशों की सेनाओं में भारी कैजुअलिटी होगी।

सूत्रों ने बताया कि भारतीय सेना द्वारा डोकलाम में चीनी सड़क निर्माण को रोकने में भारतीय सेना ने तेज कार्रवाई ने सुनिश्चित किया है कि भारतीय सेना ने अपने लीवरेज को बरकरार रखा है। भारतीय सेना ने पीएलए को बागडोगरा से गुवाहाटी और सिलीगुड़ी से सड़क के लिंक पर एक सुविधाजनक बिंदु हासिल करने से भी रोक दिया है।

इसके अलावा, दोनों देशों के बीच 70 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक के द्विपक्षीय व्यापार के साथ गहराते आर्थिक संबंधों की भी विश्लेषकों ने पहचान की है। यह एक ऐसा पहलू है जिसे कूटनीतिक एक्सचेंजों की लंबी परंपरा के साथ टकराव को नियंत्रित कर सकते हैं। सेंकाकू आईलैंड्स पर विवाद ने चीन-जापान संबंधों को आर्थिक लेन-देन के खराब होने से नहीं रोका, लेकिन दोनों पक्षों ने पूर्वी चीन सागर में एक सैन्य टकराव से बचने की कोशिश की है। 

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