आसाराम केसः व्यापम की तरह ठिकाने लगाए जा रहे गवाह
आसाराम दुष्कर्म कांड हो या मध्य प्रदेश का व्यापम घोटाला। दोनों में ही एक-एक करके गवाह और राजदार काल के गाल में समा रहे हैं या हमले के शिकार हो रहे हैं। कहने को घटनाएं भले अलग-अलग प्रकृति की हैं, मगर इसके गुनहगारों का मकसद एक ही है, जो भी
देवेंद्र देवा, शाहजहांपुर। आसाराम दुष्कर्म कांड हो या मध्य प्रदेश का व्यापम घोटाला। दोनों में ही एक-एक करके गवाह और राजदार काल के गाल में समा रहे हैं या हमले के शिकार हो रहे हैं। कहने को घटनाएं भले अलग-अलग प्रकृति की हैं, मगर इसके गुनहगारों का मकसद एक ही है, जो भी सामने आए मिटा दो...। आंकड़े पुष्टि करते हैं कि जिस तरह व्यापम में खूनी खेल चल रहा है, ठीक वैसे ही आसाराम केस में भी।
आसाराम से जुड़े केस में अभी तक नौ हमले-तीन की मौत, यह बताता है कि आसाराम भले ही जेल की कोठरी में कैद हों लेकिन बाहर लाशें बिछाने की साजिश कोई बेखौफ रच रहा है। मध्य प्रदेश में व्यापम घोटाले की परतें खुलने के साथ ही मौतों का जो सिलसिला शुरू हुआ वह करीब 50 तक पहुंच चुका है। हाल ही में मामले की सीबीआइ जांच का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया है। आसाराम का प्रकरण भी धीरे-धीरे व्यापम जैसा जानलेवा बनता जा रहा है। शुक्रवार को शाहजहांपुर में गवाह कृपाल सिंह पर हुआ हमला उसी कड़ी का हिस्सा है।
यह था मामला
आसाराम प्रकरण की शुरुआत अगस्त 2013 में हुई थी। तब शाहजहांपुर की रहने वाली किशोरी ने आसाराम पर दुष्कर्म का आरोप लगाकर देश में सनसनी फैला दी थी। पहले तो आसाराम और उनके साधक आरोपों को सिरे से खारिज करते रहे, लेकिन जोधपुर पुलिस की पड़ताल ने हकीकत उजागर कर दी। नतीजतन आसाराम को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। तमाम मशक्कत के बाद भी आसाराम जेल से बाहर नहीं आ पा रहे।
कौन-कौन लोग जुड़े
इस मामले में वादी पक्ष के 58 और आरोपी पक्ष के पचास गवाह थे। वादी पक्ष की ओर से छह मुख्य गवाह हैं, इनमें पीड़िता के पिता, पीड़िता की मां, कृपाल सिंह, राहुल सचान (लखनऊ), महेंद्र चावला (पानीपत) व मध्य प्रदेश की सुधा पटेल शामिल हैं। सुधा पटेल ने बाद में कोर्ट में आसाराम के पक्ष में बयान दे दिया था।
जो आगे आया, निशाना बना
आसाराम ने जेल से बाहर आने की भरपूर कोशिश की, मगर उनके और बेटे नारायण साईं लगातार घिरते गए। इसी दौरान अचानक मुकदमे में आसाराम के खिलाफ बयान देने वालों गवाहों को निशाना बनाना शुरू कर दिया गया। हर बार आरोप आसाराम के गुर्गों पर लगे। कुछ मामलों में साबित भी हुआ। आरोप है, आसाराम के गुर्गों ने सबसे पहले पीडि़ता के पिता को ही निशाने पर लिया। गवाही देने जोधपुर गए पीडि़ता के पिता जिस होटल में ठहरे थे, आसाराम के गुर्गों ने वहां भी हमले का प्रयास किया था, लेकिन पुलिस की सजगता से नाकाम रहे। वारदात को अंजाम देने पहुंचे लोगों को दबोच लिया गया था। आसाराम के खिलाफ इंसाफ की लड़ाई लड़ रहे पीड़िता के पिता ने स्थानीय कलेक्ट्रेट में धरना दिया था, उस दिन भी फोन से उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई। पीड़ित के घर में भी घुसने की कोशिश आसाराम के गुर्गों ने की थी, मगर पुलिस की मौजूदगी से यह संभव नहीं हुआ। हालांकि, पीड़ित पक्ष के गवाह सुरक्षित नहीं रह सके।
नौ हमले, तीन कत्ल
1-वैद्य अमृत प्रजापति (अहमदाबाद) की मई 2014 में गोली मारकर हत्या
2- अखिल गुप्ता (मुजफ्फरनगर) की गोली मारकर हत्या
3- राहुल सचान (लखनऊ) को फरवरी 2015 में जोधपुर में गवाही के दौरान चाकू से गोदा
4- महेंद्र चावला (पानीपत) को मई 2015 में गोली मारकर घायल किया
5- सूरत में पीड़िता के पति विमलेश ठक्कर पर हमला
6- सूरत में महिला गवाह के पति राकेश पटेल पर हमला
7- गवाह दिनेश भागचंदानी पर हमला
8- गवाह राजू चांडक पर हमला
9- कृपाल सिंह (शाहजहांपुर) की गोली मारकर हत्या
पढ़ेंः आसाराम केस के मुख्य गवाह की मौत

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