पोस्टर वॉर : अब केजरीवाल की 'गुमशुदगी' के लगे पोस्टर
'आप' नेता अरविंद केजरीवाल की तलाश में अब पोस्टर लगाए गए हैं। 'गुमशुदा' की तलाश वाले इन पोस्टरों में केजरीवाल की फोटो के साथ उनका हुलिया भी व्यांगात्मक लहजे में लिखा हुआ है। साथ ही उनको ढूंढ कर लाने वाले को इनाम देने की भी घोषणा की गई है। कुछ दिन पहले ही आप नेता मनीष सिसोदिया के गुमशुदगी के पोस्टर भी पटपड़गंज क्षेत्र में लगाए गए थे।
नई दिल्ली। 'आप' नेता अरविंद केजरीवाल की तलाश में अब पोस्टर लगाए गए हैं। 'गुमशुदा' की तलाश वाले इन पोस्टरों में केजरीवाल की फोटो के साथ उनका हुलिया भी व्यांगात्मक लहजे में लिखा हुआ है। साथ ही उनको ढूंढ कर लाने वाले को इनाम देने की भी घोषणा की गई है। कुछ दिन पहले ही आप नेता मनीष सिसोदिया के गुमशुदगी के पोस्टर भी पटपड़गंज क्षेत्र में लगाए गए थे। सिसोदिया पटपड़गंज विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। इससे पहले आम आदमी पार्टी ने भी मोदी सरकार और अपनी 49 दिन की सरकार में तुलना संबंधित पोस्टर चस्पा करवाए थे।
दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को नई दिल्ली विधानसभा सीट पर धूल चटाने वाले केजरीवाल आज वहां की ही जनता के लिए लापता हो गए हैं। आरडब्ल्यूए गोल मार्किट व काली बाड़ी द्वारा जारी इन पोस्टरों में आम आदमी पार्टी के संयोजक अरिवंद केजरीवाल की फोटो छपी हुई है। इन पोस्टरों में उनके हुलिये का भी व्यंगात्मक जिक्र किया गया है। जिसमें उनका ''रंग: सांवला, बीमारी: खांसी, काम: धरना, झूठ बोलना, सपने: मुंगेरी लाल के'' आदि बातें लिखी हुई हैं।
पोस्टर में बताया गया है कि उनके न मिलने से वहां की जनता कैसे परेशान है और क्षेत्र में कोई भी विकास कार्य नहीं हो रहा है। पोस्टर में उनपर क्षेत्र की समस्याओं से अनजान होने का भी आरोप लगाया गया है।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली की गद्दी को मात्र 49 दिन में ही छोड़ देने के बाद अरविंद केजरीवाल के खिलाफ सोशल मीडिया में टिप्पणियों की बाढ़ आ गई थी। जिनमें उनको भगौड़े तक की संज्ञा दे दी गई थी। दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद अरविंद केजरीवाल लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी के खिलाफ बनारस से चुनाव लड़े थे, जहां वे हार गए थे।
लोकसभा चुनाव में पंजाब को छोड़कर अपने गढ़ दिल्ली समेत पूरे देश में करारी हार का सामना करने के बाद अरविंद केजरीवाल फिर से अपनी खोई जमीन को पाने के लिए आए दिन नए हथकंडे अपना रहे हैं। इन्हीं हथकंडों के तहत केजरीवाल आजकल मोदी के 49 दिन के शासनकाल और अपने 49 दिनों के शासनकाल की तुलना करने में व्यस्त हैं। जिसमें वे लोगों से एसएमएस के जरिए उनकी राय मांग रहे हैं कि किसके 49 दिन अच्छे थे। इसी बीच, उनके लापता होने के पोस्टर नई दिल्ली क्षेत्र में चस्पा हो गए हैं। इन पोस्टरों के पीछे किस पार्टी का हाथ है इसका अनुमान लगाना अभी कठिन है पर इनकी चर्चा खूब है।
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