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    लाशों के ऊपर रहे तीन दिन और तीन रात

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    Updated: Fri, 21 Jun 2013 09:18 AM (IST)

    आपदा आती है तो आम और खास किसी को भी नहीं बख्शती। केदार घाटी में आई आपदा बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे को भी गहरे घाव दे गई। पंद्रह लोगों के दल में से सात ही सलामत हैं। इनके दो संबंधी मौत के ग्रास बन गए और पांच अभी तक लापता हैं। बिहार के पूर्व मंत्री अश्विनी कुमार अपने परिव

    देहरादून [जासं]। आपदा आती है तो आम और खास किसी को भी नहीं बख्शती। केदार घाटी में आई आपदा बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे को भी गहरे घाव दे गई। पंद्रह लोगों के दल में से सात ही सलामत हैं। इनके दो संबंधी मौत के ग्रास बन गए और पांच अभी तक लापता हैं।

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    बिहार के पूर्व मंत्री अश्विनी कुमार अपने परिवार व संबंधियों के साथ चार धाम यात्रा पर आए थे। सुरक्षाकर्मी सहित कुल पंद्रह लोगों का यह दल 15 जून को केदारनाथ पहुंचा। बृहस्पतिवार को जौलीग्रांट हवाई अड्डे पर लौटे अश्वनी कुमार चौबे ने रूंधे गले से आपबीती सुनाई और सरकार के इंतजामों को भी जमकर कोसा। उन्होंने बताया कि वह पूरी जिम्मेदारी के साथ यात्रा पर निकले थे। केदारनाथ जाने से पहले भी उन्होंने जिले के मजिस्ट्रेट से मौसम के संबंध में जानकारी ली थी। मगर उन्हें सही जानकारी नहीं दी गई। केदारनाथ में जब तबाही का वह सैलाब आया तो वह अपने परिवार व रिश्तेदारों के साथ मंदिर के भीतर ही थे। प्रलय ऐसी थी कि मंदिर में भी गले तक मलबा भर गया। जो लोग बाहर थे वह मलबे में ही दफन हो गए। हमारे सात लोग लापता थे जिनमें से दो के शव मिले हैं।

    इस आपदा से बचे हम लोग तीन दिन तक वहां लाशों के ऊपर सोए और हमें कोई मदद नहीं मिली। आपदा प्रबंधन के नाम पर सभी दावों की हकीकत मैंने स्वयं देखी और महसूस की है। हम 11 किलोमीटर चलकर किसी तरह गुप्तकाशी पहुंचे। चेहरे मिट्टी से सने थे और हालत बेहद खराब। एनडीआरएफ कैंप में दवा व मदद मिली। उन्होंने कहा कि जब मौसम खराब होने की सूचना सरकार को मिल गई थी तो उन्हें 13 जून को ही यात्रा पर रोक लगा देनी चाहिए थी। उन्होंने आपदा में हताहत हुए सरकारी आंकड़ों का भी खंडन करते हुए कहा कि केदार घाटी में पंद्रह से बीस हजार लोगों की मौत हुई है। अकेले केदारनाथ में ही यह संख्या पांच हजार के करीब है।

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