10वीं में पढ़ने वाले पाकिस्तानी बच्चे थे उड़ी आतंकी हमले के गाइड
उड़ी में सेना के कैंप पर हुए आतंकी हमले में जिन दो गाइड्स को एनआईए ने गिरफ्तार किया है वो दसवीं में पढ़ते हैं।
नई दिल्ली (जेएनएन)। उड़ी स्थित आर्मी कैंप पर हुए आतंकी हमले में मदद करने के आरोप में जिन दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है, वो 10वीं में पढ़ते हैं। इन छात्रों के परिजनों और उनके स्कूल के प्रिसिंपल ने एक अंग्रेजी अखबार से बात करते हुए बताया कि 10वीं में पढ़ने वाले ये छात्र नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार भटककर आ गए थे।
बता दें कि 18 सितम्बर 2016 को जम्मू और कश्मीर के उड़ी सेक्टर में एलओसी के पास स्थित भारतीय सेना के ब्रिगेड हेडक्वार्टर पर हुए आतंकी हमले में 18 जवान शहीद हो गए थे। बाद में सैन्य बलों द्वारा की गई कार्रवाई में सभी चार आतंकी मारे गए थे। भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार दोनों पाकिस्तानियों ने “उड़ी स्थित आर्मी कैंप पर हमला करने वाले जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों को भारत में घुसने में मदद करने की बात को स्वीकार किया है।”
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पीओके के रहने वाले हैं दोनों छात्र
एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, फैसल हुसैन अवान पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) के कूमी कोटे गांव के नजदीक पोथा जंडग्रन का रहने वाला है, जबकि उसका स्कूली दोस्त एहसान खुर्शीद मुजफ्फराबाद के बाला तहसील स्थित खिलयाना खुर्द का रहने वाला है। दोनों को 21 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था। 18 सितंबर को उड़ी कैंप पर हुए आतंकी हमले के बाद इनकी गिरफ्तारी 21 सितंबर को हुई थी। इन दोनों का गांव उड़ी के नजदीक उड़ी से मात्र एक घंटे की पैदल दूरी पर है।
फैसल के भाई गुलाम मुस्तफा तबस्सुम और लाहौर स्थित एक डॉक्टर ने दावा किया कि दोनों लड़के 17 सितंबर को घर पर ही थे। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को मिले जीपीएस उपकरणों के अनुसार उड़ी हमला करने वाले आतंकवादियों ने 17 सितंबर को नियंत्रण रेखा को पार किया था।
फैसल के बचाव में आए भाई और स्कूल प्रिंसिपल
तबस्सुम ने अंग्रेजी अखबार से बातचीत में बताया, “मैं कोई विवाद या आरोप-प्रत्यारोप नहीं चाहता, इसीलिए मैंने मीडिया से संपर्क नहीं किया। मैं उसका बड़ा भाई हूं और उसकी हिफाजत करना मेरा कर्तव्य है। मुझे समझ नहीं आ रहा है कि मैं क्या करूं। मैं बस इतनी उम्मीद कर सकता हूं कि भारत में कोई प्रभावशाली व्यक्ति हमारी कहानी पढ़े और लड़कों को घर भेज दे।”
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मुजफ्फराबाद स्थित शाहीन मॉडल स्कूल के प्रिंसिपल बशारत हुसैन ने बताया कि अवान विज्ञान का छात्र है और उसने नौवीं की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की थी। फैसल की मार्कशीट के अनुसार उसने कक्षा नौ में कुल 525 में 328 अंक हासिल किए थे। बशारत हुसैन बताते हैं कि वो “एक अच्छा, ईमानदार और मिलनसार छात्र है। वह हर रोज छह घंटे स्कूल में रहता था और उसका व्यवहार शानदार था।”
16 साल के दोनों लड़के
स्कूल दस्तावेजों के अनुसार दोनों लड़को की उम्र 16 साल है। हुसैन ने बताया, "उन्हें नहीं पता था कि दोनों लड़के आपस में दोस्त हैं। अगर ये बात सही साबित होती है तो वो भारतीय कानून के अनुसार नाबालिग हैं और उन्हें कानून के तहत विशेष सुरक्षा प्राप्त होगी, चाहे वो किसी भी देश के नागरिक हों। लेकिन ये हैरानी की बात नहीं है क्योंकि दोनों एक ही स्कूल में पढ़ते थे।” 24 सिंतबर को भारतीय सेना ने कहा था, “पकड़े गए दोनों शख्स पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के रहने वाले हैं और आंतकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के लिए काम करते हैं।”
दोनों लड़कों ने कई बार बदले अपने बयान- एनआईए
एनआईए के सूत्रों के अनुसार दोनों लड़कों ने कई बार अपना बयान बदला है। एक लड़के ने अपने बयान में कहा कि उसने खुद हमले में हिस्सा लिया था और सेना कैंप के अंदर स्थित टेंटों में आग लगाई गई। एनआईए ने तीन अक्टूबर को दावा किया था कि फैसल ने उरी हमले में सेना की जवाबी कार्रवाई में मारे गए चार आतंकवादियों में से एक ही पहचान हाफिज अहमद के रूप में की थी। फैसल के अनुसार हाफिज धारबंग गांव के फिरोज का बेटा था।
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परिवार वालों का दावा भटकर चले गए होंगे एलओसी के पार
फैसल के पिता बढ़ई का काम करते हैं। अहसान के पिता खानसामा हैं जो सऊदी अरब में काम करते हैं। दोनों के परिवार वालों का कहना है कि दोनों हमले के वक्त अपने घर में थे और बाद में शायद वो भटककर एलओसी पार चले गए होंगे। फैसल के भाई तबस्सुम कहते हैं कि 20 सिंतबर को फैसल स्कूल नहीं गया था, इसलिए वह सोकर देर से उठा था। उस दिन वो पीट कंथ की दरगाह पर गया था। मुमकिन है कि वो शॉर्ट कट लेने के चक्कर में रास्ता भटक गया हो और एलओसी के पार चला गया हो। अहसान का घर भी एलओसी से करीब आधे घंटे की दूरी पर है।
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