सरकार और विपक्ष एक दूसरे से झुकने को तैयार नहीं
विपक्ष लोकसभा में वोटिंग के नियम के तहत चर्चा की मांग से पीछे नहीं हट रहा तो सरकार ने साफ कर दिया है कि इसकी गुंजाइश नहीं है।
नई दिल्ली, (जागरण ब्यूरो)। नोटबंदी को लेकर पिछले 11 दिनों से जारी सियासी संग्राम पर सरकार और विपक्ष अब भी एक दूसरे के सामने हथियार डालने को तैयार नहीं है। विपक्ष लोकसभा में वोटिंग के नियम के तहत चर्चा की मांग से पीछे नहीं हट रहा तो सरकार ने साफ कर दिया है कि इसकी गुंजाइश नहीं है।
सरकार का तर्क है कि वोटिंग के नियम पर चर्चा होने से कालेधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ देश और दुनिया में संसद के बंटे होने का संदेश जाएगा। हालांकि संसद में गतिरोध के लंबा खींचने के मद्देनजर विपक्षी एकता में दरार आने की स्थिति बन रही है क्योंकि बीजद, द्रमुक, अन्नाद्रमुक सरीखे दल संसद की कार्यवाही चलाने के पक्ष में हैं।
कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस व वामपंथी दलों और सरकार के बीच गतिरोध का हल निकालने को अनौपचारिक संवाद का दौर मंगलवार को भी हुआ। मगर विपक्ष राज्यसभा में बहस के दौरान पूरे समय प्रधानमंत्री की मौजूदगी तो लोकसभा में कार्यस्थगन प्रस्ताव के तहत ही नोटबंदी पर चर्चा की मांग से पीछे नहीं हटा। इसके उलट विपक्ष ने लोकसभा में हंगामे के बीच नोटबंदी में आने वाले कालेधन से जुड़े टैक्स संशोधन बिल को पारित करने को एक और मुद्दा बनाते हुए सरकार पर प्रहार किया।
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विपक्ष की अगुवाई कर रही कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला और सुष्मिता देव ने लोकसभा में इस बिल को पारित करने में सरकार पर संवैधानिक मर्यादा की धज्जियां उड़ाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति की बिल पर मंजूरी लिए बिना इस बिल को पारित कराया गया है। उन्होंने कहा कि इस बिल में गरीब कल्याण कोष बनाने की व्यवस्था कर वास्तव में सरकार ने कालाधन सफेद करने का मौका दिया है।
सुरजेवाला ने कहा कि इसमें करीब 50 फीसदी रकम देकर बाकी 50 फीसदी को सफेद करने का रास्ता देकर कालेधन के खिलाफ लड़ाई के साथ मजाक है। क्योंकि पुराने आयकर कानून के तहत नोटबंदी के बाद आय से अधिक स्रोत के धन पर 132 फीसद जुर्माना लगता था और इस बिल के जरिए इसे घटा दिया गया है। हंगामे के बीच बिना चर्चा बिल पारित करने को उन्होंने संख्या बल के मद में चूर सरकार का अहंकारी फैसला बताया। सरकार पर लगाए इस आरोप के साथ सुष्मिता देव ने हंगामे के बीच बिल पारित होने को भी मुद्दा बनाने की बात कह संसद में जारी गतिरोध पर कांग्रेस का रुख नरम नहीं होने का संदेश दिया। उन्होंने यह भी दावा किया कि सभी विपक्षी दल इस मसले पर एकमत हैं।
सरकार की ओर से संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने राष्ट्रपति की मंजूरी के बिना बिल पारित करने की प्रक्रिया पूरी करने के आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि यह बिल नोटबंदी के बाद कालेधन को खत्म कर इसे गरीबों के कल्याण के लिए तत्काल पारित करना जरूरी था और इसमें हर प्रक्रिया पूरी की गई। कुमार ने कहा कि विपक्ष चर्चा से भाग रहा और हर रोज नए बहाने लेकर आ रहा।
संसदीय कार्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा और राज्यसभा दोनों में नोटबंदी पर बहस के दौरान बयान देने के लिए तैयार हैं। सरकार दोनों सदनों में तत्काल बहस के लिए तैयार है मगर वोटिंग के नियम के तहत लोकसभा में चर्चा हमें मंजूर नहीं। सरकार के पास जब बहुमत है तो फिर वोटिंग से वह क्यों भाग रही? इस पर अनंत कुमार ने कहा कि बेशक सरकार को पूरा बहुमत है मगर कालेधन, भ्रष्टाचार और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में संसद के बंटे होने का संदेश हम देश और दुनिया को नहीं देना चाहते।
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