इस्लामिक स्टेट का साथ न दें: उलेमा
इराक व सीरिया में सक्रिय आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आइएस) की देवबंद के उलेमा ने जबरदस्त मुखालफत की है। उनका कहना है कि आम आदमी और बेकसूर के साथ क्रूर व्यवहार इस्लाम के खिलाफ है। इन हालात में इस्लामिक स्टेट का जहनी और जिस्मानी तौर पर साथ देना कतई बेमकसद है। दारुल उलूम वक्फ के उस्
देवबंद, जागरण संवाददाता। इराक व सीरिया में सक्रिय आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आइएस) की देवबंद के उलेमा ने जबरदस्त मुखालफत की है। उनका कहना है कि आम आदमी और बेकसूर के साथ क्रूर व्यवहार इस्लाम के खिलाफ है। इन हालात में इस्लामिक स्टेट का जहनी और जिस्मानी तौर पर साथ देना कतई बेमकसद है।
दारुल उलूम वक्फ के उस्ताद मुफ्ती आरिफ कासमी का कहना है कि आइएस संगठन का जब तक मकसद साफ न हो तब तक उसमें शामिल होना या उनका साथ देना ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि आइएस संगठन एक साजिश के तहत इस्लाम को बदनाम करने का काम कर रहा हो। इस सूरत में उसका साथ देने के लिए इराक जाना चाहता है या जाने की तैयारी में है तो यह ठीक नहीं है।
अल कुरान फाउंडेशन के अध्यक्ष मौलाना नदीमुल वाजदी का कहना है कि आइएस में शामिल होने या उनकी ओर से लड़ने के लिए मुस्लिमों का इराक जाना गलत है।
मदरसा जामियातुल अनवरिया के मोहतमिम मौलाना नसीम अख्तर शाह कैसर का कहना है कि आइएस का कोई भी एजेंडा साफ नहीं है। ऐसे में संगठन में शामिल होने के लिए इराक जाना गलत है।