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गठबंधन की पहली बैठक में नहीं आए उद्धव ठाकरे

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की रणनीति पर चर्चा के लिए शिवसेना और भाजपा के वरिष्ठ नेता शुक्रवार को पहली बार एक जगह जमा हुए। 25 साल पुराने मित्र दलों (शिवसेना-भाजपा) की विस चुनाव के मुद्दे पर आयोजित बैठक में निर्णय हुआ कि सेना-भाजपा लोकसभा चुनाव से पहले जुड़े नए राजनीतिक साथियों को साथ लेकर ही विस

By Edited By: Published: Fri, 25 Jul 2014 10:36 PM (IST)Updated: Fri, 25 Jul 2014 10:36 PM (IST)
गठबंधन की पहली बैठक में नहीं आए उद्धव ठाकरे

मुंबई [ओम प्रकाश तिवारी]। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की रणनीति पर चर्चा के लिए शिवसेना और भाजपा के वरिष्ठ नेता शुक्रवार को पहली बार एक जगह जमा हुए। 25 साल पुराने मित्र दलों (शिवसेना-भाजपा) की विस चुनाव के मुद्दे पर आयोजित बैठक में निर्णय हुआ कि सेना-भाजपा लोकसभा चुनाव से पहले जुड़े नए राजनीतिक साथियों को साथ लेकर ही विस चुनाव लड़ेंगी। यह अलग बात है कि इस बैठक में सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने शिरकत नहीं की। माना जा रहा है कि वह सीट समझौते पर भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के साथ होने वाली बैठकों में शामिल होंगे।

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शिवसेना-भाजपा की इस संयुक्त बैठक में भाजपा की ओर से विधानसभा में नेता विपक्ष एकनाथ खडसे, विधान परिषद में नेता विपक्ष विनोद तावड़े, प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र फणनवीस एवं स्वर्गीय भाजपा नेता गोपीनाथ मुंडे की पुत्री पंकजा मुंडे शामिल थीं। शिवसेना की तरफ से विधानसभा में पार्टी के नेता सुभाष देसाई, विधान परिषद में पार्टी नेता दिवाकर राउते, पार्टी मुखपत्र सामना के कार्यकारी संपादक एवं पार्टी प्रवक्ता संजय राउत शामिल थे। बैठक में आगामी सोमवार को एक और बैठक करने का निर्णय किया गया, जिसमें राजग के नए साथियों रिपब्लिकन पार्टी के नेता रामदास आठवले, स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के अध्यक्ष राजू शेट्टी, राष्ट्रीय समाज पक्ष के अध्यक्ष महादेव जानकर एवं शिव संग्राम संगठन के विनायक मेट को भी बुलाए जाने की संभावना है। शिवसेना-भाजपा गठबंधन ने हालिया लोकसभा चुनाव में राज्य की 48 में से 42 सीटें जीत कर रिकॉर्ड कायम किया है। सेना-भाजपा यही सफलता विधानसभा चुनाव में भी दोहराना चाहती हैं, लेकिन सीटों के बंटवारे पर दोनों में थोड़ी मतभिन्नता है। भाजपा इस बार शिवसेना से बराबरी की सीट मांग रही है। साथ ही, नए जुड़े दलों को भी इन्हीं दोनों दलों को अपने कोटे से सीटें देनी होंगी। इस पर अंतिम फैसला दोनों दलों के शीर्ष नेतृत्व को करना है। उल्लेखनीय है कि अब तक सूबे की 288 सीटों में से 171 पर शिवसेना, 117 पर भाजपा चुनाव लड़ती आई हैं। अब इन दोनों अपने कोटे से ही जीतने लायक सीटें अपने नए साथियों के लिए छोड़नी पड़ेंगी। मुख्यमंत्री किस दल का बनेगा, इस बारे में भी सभी साथी दलों की राय अहम होगी।

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