दिल्ली में त्रिकोणीय मुकाबले के आसार
दिल्ली की सातों संसदीय सीटों के लिए इस बार का चुनाव बेहद दिलचस्प होने के आसार हैं। कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पारंपरिक सियासी लड़ाई के बीच आम आदमी पार्टी (आप) के आ जाने से यहां सभी सीटों पर त्रिकोणीय संघर्ष होने के कयास लगाए जा रहे हैं। राजधानी की सभी सातों सीटों पर फिलहाल कांग्र
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली की सातों संसदीय सीटों के लिए इस बार का चुनाव बेहद दिलचस्प होने के आसार हैं। कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पारंपरिक सियासी लड़ाई के बीच आम आदमी पार्टी (आप) के आ जाने से यहां सभी सीटों पर त्रिकोणीय संघर्ष होने के कयास लगाए जा रहे हैं।
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राजधानी की सभी सातों सीटों पर फिलहाल कांग्रेस का कब्जा है। लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में जिस तरह से कांग्रेस का सफाया हुआ है, उसे देखते हुए पार्टी को लोकसभा चुनाव में अपना पिछला प्रदर्शन दोहरा पाना नामुमकिन दिख रहा है। विधानसभा चुनाव के नतीजों से यह साफ हो गया है कि अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आप ने कांग्रेस के वोट बैंक में ही सेंध लगाई। तीन से चार फीसद वोटों का नुकसान भाजपा को भी हुआ, लेकिन केजरीवाल की पार्टी ने असली नुकसान कांग्रेस को ही पहुंचाया।
भाजपा नेताओं का आकलन यह है कि पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता का जादू विधानसभा चुनाव में भले ही बहुत ज्यादा नहीं चला हो, लेकिन लोकसभा चुनाव में यह जरूर चलेगा। पार्टी नेताओं के अनुसार, इसकी वजह यह है कि इस चुनाव में प्रधानमंत्री व केंद्र की सरकार का फैसला होना है। ऐसे में उसका वोट प्रतिशत बढ़ेगा और वह सबसे ज्यादा सीटें जीतने में कामयाब होगी।
सियासी पंडितों का कहना है कि इसमें कोई दो राय नहीं कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस व आप के मतदाता लगभग एक ही होंगे। ऐसे में केजरीवाल सरकार के गठन और उसके पतन तक जारी रही सियासी उठापटक का क्या परिणाम होगा, यह इस चुनाव में देखा जाना है। आप के नेता यह मानकर चल रहे हैं कि कांग्रेस व भाजपा ने मिलकर जिस प्रकार उनकी सरकार नहीं चलने दी, उससे जनता की सहानुभूति उनके साथ है।
दूसरी ओर, कांग्रेस-भाजपा के नेता यह मानकर चल रहे हैं कि केजरीवाल अपनी जिम्मेदारी को छोड़कर भाग गए। लिहाजा, जनता उन्हें सबक सिखाएगी। जानकारों का मानना है कि यदि कांग्रेस व आप के बीच वोटों का विभाजन हो गया तो इसका फायदा निश्चित रूप से भाजपा को मिलेगा। लेकिन यदि ऐसा नहीं हुआ और पिछले चुनाव की तरह ही दिल्ली के लोगों ने आप के पक्ष में मतदान किया तो तस्वीर कुछ भी हो सकती है।
कांग्रेस के सामने अपने वोट बैंक, खासकर मुस्लिम वोट बैंक को अपने साथ जोड़े रखने की बड़ी चुनौती है। दिलचस्प यह भी है कि दिल्ली के मतदाताओं का फैसला स्पष्ट होता है। अब तक हुए सभी लोकसभा चुनाव में यहां की जनता कांग्रेस अथवा भाजपा, दोनों में से किसी एक की झोली भरती आई है।

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