ट्रेन गार्ड नहीं मैनेजर कहें जनाब...
रेलवे ने ब्रिटिश जमाने के तकनीकी पदों के नाम को समाप्त करने की तैयारी शुरू कर दी है। ब्रिटिश काल से जिन-जिन पदों का नाम प्रचलन में है, वे अब भी जारी हैं।
चंद्रशेखर, पटना। रेलवे ने ब्रिटिश जमाने के तकनीकी पदों के नाम को समाप्त करने की तैयारी शुरू कर दी है। ब्रिटिश काल से जिन-जिन पदों का नाम प्रचलन में है, वे अब भी जारी हैं। इसे बदलने की कवायद शुरू कर दी गई है। पहले ट्रेन के ड्राइवर के पद को हटाकर उसे लोको पायलट व सहायक लोको पायलट का नाम दिया गया। अब गार्ड का पदनाम बदलकर उसे ट्रेन मैनेजर कर दिया गया है।
रेलवे बोर्ड के आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक अंग्रेजों के जमाने से अब तक यह कैटेगरी ट्रेनों में गार्ड के पदनाम से जानी जाती थी। अब मुख्यालय से सभी जोन को विशेष निर्देश दिया गया है कि वे ट्रेन गार्ड के पदनाम को ट्रेन मैनेजर के रूप में प्रचलित करें। इसके लिए सभी मंडलों को लिखित सूचना भेजी जाए।
बदल जाएगी नेम प्लेट
अब तक मंडल में गार्ड के लिए पद व नाम की नेम प्लेट ड्रेस कोड में शामिल थी। अब उन्हें अपने ब्लेजर में ट्रेन मैनेजर की नेम प्लेट ही लगानी होगी।
क्यों बदला पदनाम
पहले ट्रेन गार्ड को गार्ड ही कहा जाता था। इससे उनमें गुलामी की जंजीरों में जकड़े रहने की भावना पनपती थी। ट्रेन ड्यूटी के दौरान ड्राइवर को लोको पायलट का नया नाम मिलने पर गार्ड के बीच हीन भावना पनपने लगी थी। कर्मचारी संगठनों ने भी ड्राइवर की तरह गार्ड का पदनाम बदलने की मांग की थी।
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