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    कांग्रेस व सपा को भारी पड़ेगी किसानों की अनदेखी

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    Updated: Sun, 09 Feb 2014 09:06 AM (IST)

    उत्तर प्रदेश में किसानों की माली हालत खराब होने से केंद्र व राज्य की सत्तारुढ़ पार्टियों के प्रति नाराजगी बढ़ती जा रही है। गन्ना मूल्य का भुगतान न होने की वजह से राज्य की कानून व्यवस्था के लिए भी खतरे की आशंका है। लोकसभा चुनाव के दौरान किसानों की समस्याएं और बढ़ेंगी, जब गेहूं की फसल तैयार होगी अ

    [सुरेंद्र प्रसाद सिंह], नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में किसानों की माली हालत खराब होने से केंद्र व राज्य की सत्तारुढ़ पार्टियों के प्रति नाराजगी बढ़ती जा रही है। गन्ना मूल्य का भुगतान न होने की वजह से राज्य की कानून व्यवस्था के लिए भी खतरे की आशंका है। लोकसभा चुनाव के दौरान किसानों की समस्याएं और बढ़ेंगी, जब गेहूं की फसल तैयार होगी और उसके खरीदार नहीं होंगे।

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    यह स्थिति दूसरे राज्यों पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश में नहीं होगी। इन राज्यों में किसानों की उपज की खरीद केंद्रीय खरीद एजेंसी भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) अथवा राज्य एजेंसियां करती हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश में किसानों के हितों की सुध लेने वाला कोई नहीं है। कुल गेहूं का 40 फीसद उत्पादन करने वाले उत्तर प्रदेश के किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से भी कम दाम पर अपनी उपज बेचने को मजबूर होना पड़ता है।

    पश्चिम उत्तर प्रदेश में किसानों को उनके गन्ना मूल्य का भुगतान न होने से उनका गुस्सा दिनोंदिन बढ़ रहा है। एक अनुमान के मुताबिक 31 मार्च तक यह गन्ना मूल्य बकाया (एरियर) बढ़कर 12 से 13 हजार करोड़ रुपये तक हो जाएगा। मिलों के देर से पेराई शुरु करने की वजह से इस बार पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गेहूं का बुवाई रकबा घटा है। इससे भी उनकी माली हालत के प्रभावित हुई है। रबी उपज की बिक्त्री को लेकर भी राज्य के किसान नाउम्मीद हैं, जो उनके गुस्से की वजह बन सकती है। चुनाव के चरम पर होने के समय उनका गुस्सा बढ़ सकता है जिससे सत्तारुढ़ कांग्रेस, रालोद और समाजवादी पार्टी के चुनाव पर विपरीत असर पड़ना तय माना जा रहा है।

    नाराज किसानों का नजला जहां केंद्र की सत्ता पर काबिज कांग्रेस व रालोद पर गिरेगा, वहीं राज्य की समाजवादी पार्टी भी इससे खुद को बचा नहीं पाएगी। इस खास मौके की ताक में भाजपा अपनी राजनीतिक ताकत बढ़ाने की फिराक में है। इसी के मद्देनजर उत्तर प्रदेश में भाजपा की रैलियों में उसके प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी राज्य के किसानों की दशा बयां करते हुए उनकी नाराजगी को भुनाने की भरपूर कोशिश करते हैं।

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