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    पांच साल बाद सुलझने लगा है आरुषि हत्याकांड का रहस्य!

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    Updated: Wed, 17 Apr 2013 11:58 AM (IST)

    लंबे समय से उलझी आरुषि-हेमराज हत्याकांड की गुत्थी अब सुलझती नजर आ रही है। इस चर्चित हत्याकांड की जांच कर रही सीबीआइ ने मंगलवार को कोर्ट में गवाही के दौरान कहा, आरुषि की हत्या खुद उनके ही माता-पिता ने की थी। सीबीआइ के वकील आरके सैनी ने कोर्ट में कहा कि हत्या के दिन घर में कोई और बाहरी शख्स नहीं आया था।

    नई दिल्ली। लंबे समय से उलझी आरुषि-हेमराज हत्याकांड की गुत्थी अब सुलझती नजर आ रही है। इस चर्चित हत्याकांड की जांच कर रही सीबीआइ ने मंगलवार को कोर्ट में गवाही के दौरान कहा, आरुषि की हत्या खुद उनके ही माता-पिता ने की थी। सीबीआइ के वकील आरके सैनी ने कोर्ट में कहा कि हत्या के दिन घर में कोई और बाहरी शख्स नहीं आया था। हालांकि तलवार दंपति खुद को बेकसूर कहता रहा है।

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    गौैरतलब है कि 15 मई 2008 को नोएडा के जलवायु विहार में आरुषि की हत्या हुई थी। आरुषि की हत्या के दूसरे दिन नौकर हेमराज का भी शव घर की छत पर मिला था। कोर्ट में जारी सुनवाई में जांच एजेंसी के वकील ने कहा कि सीबीआइ की जांच बताती है कि आरुषि और नौकर हेमराज की हत्या के दिन घर पर राजेश तलवार और नूपुर तलवार के अलावा कोई तीसरा शख्स मौजूद नहीं था। इससे ये साफ साबित होता है कि मां-बाप ने ही बेटी की हत्या की है।

    पिछले पांच साल से इस केस की सुनवाई चल रही है। इस केस में कई उतार-चढ़ाव आए। आईए जानते हैं इस केस में कब क्या हुआ..

    16 मई,2008 : डीपीएस की छात्रा आरुषि का शव उसके नोएडा, सेक्टर-25 स्थित घर के कमरे में मिला। नौकर हेमराज पर लगा हत्या का आरोप।

    17 मई 2008 : चौबीस घंटे बाद आरुषि के घर की छत से नौकर हेमराज का शव बरामद।

    23 मई 2008 : नोएडा पुलिस ने आरुषि के पिता डॉ. राजेश तलवार को हत्या का आरोपी बताते हुए गिरफ्तार किया। मेरठ जोन के तत्कालीन आइजी गुरुदर्शन सिंह ने आरुषि व हेमराज को आपत्तिजनक स्थित में पाए जाने को बताया हत्या की वजह।

    31 मई,2008 : हत्याकांड की जांच सीबीआइ को दी गई।

    1 जून, 2008 : सीबीआइ ने जांच की जिम्मेदारी संभाली। उत्तर प्रदेश शासन ने मेरठ जोन के आइजी, मेरठ रेंज के डीआइजी और नोएडा एसएसपी का तबादला किया।

    13 जून, 2008 : नार्को टेस्ट के बाद सीबीआइ ने डॉ. तलवार के कंपाउंडर कृष्णा को गिरफ्तार किया।

    27 जून, 2008 : डॉ. अनिता दुर्रानी के नौकर राजकुमार को सीबीआइ ने किया गिरफ्तार।

    11 जुलाई 2008 : डॉ. तलवार के पड़ोस में रहने वाले नौकर विजय मंडल को सीबीआई ने किया गिरफ्तार। 50 दिन जेल में रहने के बाद डॉ. राजेश तलवार रिहा।

    12 सितंबर 2008 : कृष्णा, राजकुमार और विजय मंडल सुबूत के अभाव में रिहा।

    30 दिसंबर 2010 : सीबीआइ ने कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की।

    25 जनवरी 2011 : आरुषि के पिता पर गाजियाबाद स्थित सीबीआइ की विशेष अदालत में हमला।

    9 फरवरी 2011 : गाजियाबाद की विशेष अदालत ने तलवार दंपती को सबूत मिटाने और आरुषि हत्याकांड में शामिल होने का आरोप तय किया।

    28 फरवरी 2011 : सीबीआई की विशेष अदालत ने तलवार दंपती के खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी किया।

    11 अप्रैल 2012 : कोर्ट ने नूपुर तलवार के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया। नूपुर तलवार ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की। जिसपर पर कोर्ट ने नूपुर की गिरफ्तारी पर तीस अप्रैल तक के लिए रोक लगा दी।

    30 अप्रैल 2012 : नूपुर तलवार ने सीबीआई की विशेष अदालत में आत्मसमर्पण किया। कोर्ट ने जेल भेजा।

    3 मई 2012 : सत्र न्यायालय ने नूपुर की जमानत याचिका खारिज की।

    14 मई 2012 : गाजियाबाद कोर्ट ने सीबीआई को इस मामले से जुड़े दस्तावेज तलवार दंपती को सौंपने को कहा।

    17 जुलाई 2012 : सुप्रीम कोर्ट ने नुपूर की जमानत मंजूर की और 25 सितंबर नुपूर को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए।

    17 सितंबर 2012 : नुपूर तलवार को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए गए।

    25 सितंबर 2012 : नुपूर तलवार को जेल से रिहा कर दिया गया।

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