दोषमुक्त नहीं हुई कोडनानी हाई कोर्ट ने सुधारी त्रुटि
गुजरात हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अदालत ने सूबे की पूर्व मंत्री माया कोडनानी को दोषमुक्त नहीं किया है, बल्कि जुलाई में जारी हुए अदालत के आदेश में टाइपिंग संबंधी त्रुटि हुई थी। वर्ष 2002 के नरोदा पाटिया दंगा मामले में निचली अदालत ने कोडनानी को 28 साल
अहमदाबाद। गुजरात हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अदालत ने सूबे की पूर्व मंत्री माया कोडनानी को दोषमुक्त नहीं किया है, बल्कि जुलाई में जारी हुए अदालत के आदेश में टाइपिंग संबंधी त्रुटि हुई थी। वर्ष 2002 के नरोदा पाटिया दंगा मामले में निचली अदालत ने कोडनानी को 28 साल जेल की सजा सुनाई है।
हाई कोर्ट के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश वीएम सहाय और न्यायाधीश आरपी ढोलरिया ने बीते सोमवार को जारी किए गए आदेश में यह स्पष्टीकरण दिया है। कोडनानी के वकील ने इस स्पष्टीकरण के लिए याचिका दायर की थी। अदालत ने कहा कि कोडनानी की जमानत याचिका पर विचार और जमानत देने के कारण बताते हुए हमने कहीं भी दोषसिद्धि शब्द का इस्तेमाल नहीं किया था।
लेकिन जमानत को लेकर 30 जुलाई 2014 को जारी हुए अदालत के आदेश में टाइपिंग के दौरान हुई त्रुटि के कारण पैराग्राफ नंबर 19 की चौथी लाइन में 'दोषसिद्धि और' शब्द जुड़ गया। अदालत ने अपने नए आदेश के जरिये पिछले आदेश में जुड़े इन शब्दों को हटा दिया। पीठ ने कहा कि यह गलती ठीक कर ली गई है। हाई कोर्ट की इसी पीठ ने 30 जुलाई को कोडनानी की याचिका मंजूर करते हुए उन्हें स्वास्थ्य कारणों से जमानत दी थी और उनकी सजा पर रोक लगाई थी।