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    विरोध के बाद भी तेलंगाना पर आगे बढ़ी सरकार

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    Updated: Sat, 05 Oct 2013 12:05 AM (IST)

    हैदराबाद से दिल्ली तक मचे घमासान के बीच केंद्र की मनमोहन सरकार तेलंगाना के गठन की तैयारी में जुट गई है। तेलंगाना और सीमांध्र के बीच संसाधन बंटवारे के लिए गठित 10 सदस्यीय मंत्रिमंडलीय समूह को डेढ़ महीने में रिपोर्ट देने को कहा गया है। इस बीच, तेलंगाना विरोध की राजनीति में बढ़त हासिल करते हुए जगनमोहन रेड्डी

    नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। हैदराबाद से दिल्ली तक मचे घमासान के बीच केंद्र की मनमोहन सरकार तेलंगाना के गठन की तैयारी में जुट गई है। तेलंगाना और सीमांध्र के बीच संसाधन बंटवारे के लिए गठित 10 सदस्यीय मंत्रिमंडलीय समूह को डेढ़ महीने में रिपोर्ट देने को कहा गया है। इस बीच, तेलंगाना विरोध की राजनीति में बढ़त हासिल करते हुए जगनमोहन रेड्डी ने 72 घंटे के सीमांध्र बंद के साथ आमरण अनशन की घोषणा भी कर दी है। सीमांध्र से आने वाले केंद्रीय मंत्रियों के इस्तीफे का सिलसिला शुक्रवार को भी जारी रहा। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया, लेकिन मानव संसाधन मंत्री पल्लम राजू अपने त्यागपत्र पर अड़े हैं।

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    सीमांध्र में हो रहे विरोध-प्रदर्शनों को स्वाभाविक बताते हुए गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने साफ किया कि साल के अंत तक तेलंगाना गठन को अमलीजामा पहना दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि संसाधन बंटवारे पर जीओएम की रिपोर्ट के बाद शीतकालीन सत्र में संबंधित विधेयक संसद में पेश कर दिया जाएगा। जीओएम में शिंदे के अलावा ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश, सड़क परिवहन मंत्री आस्कर फर्नाडिस, ऊर्जा मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और कार्मिक राज्यमंत्री नारायण सामी के साथ 10 मंत्रियों को शामिल किया गया है। योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया भी जीओएम में हैं। जीओएम दोनों राज्यों के बीच सीमा निर्धारण से लेकर सरकारी अधिकारियों, नदियों व जलाशयों, बिजली, सड़क व सरकारी संपत्तियों के बंटवारे का विस्तृत खाका तैयार करेगा। साथ ही 10 साल तक हैदराबाद के संयुक्त राजधानी रहने की स्थिति में दोनों राज्यों के अधिकार क्षेत्र को भी स्पष्ट करेगा।

    शिंदे भले ही सीमांध्र में विरोध-प्रदर्शनों को स्वाभाविक बता रहे हों, लेकिन चुनावी नुकसान को देखते हुए वहां के नेताओं में बेचैनी है। यही कारण है कि पर्यटन मंत्री चिरंजीवी के बाद पल्लम राजू ने भी इस्तीफा दे दिया। एक ओर सरकार के फैसले ने सीमांध्र के कांग्रेस नेताओं को बैकफुट पर ला दिया है। वहीं, प्रमुख राजनीतिक ताकत के रूप में उभर रहे जगनमोहन रेड्डी ने शनिवार से आमरण अनशन की घोषणा कर बढ़त बना ली है। सीमांध्र के सभी 13 जिलों में प्रदर्शनों का दौर जारी है। आम जनता के साथ सरकारी अधिकारी और कर्मचारी भी सड़क पर उतर आए हैं।

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