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    ..जानिए सुनंदा पुष्कर की जिंदगी की कहानी

    By Edited By:
    Updated: Sun, 19 Jan 2014 06:44 PM (IST)

    सुनंदा पुष्कर भारत में तभी चर्चित हुईं जब वह शशि थरूर के संपर्क में आईं, लेकिन दुबई में वह एक सफल व्यवसायी के रूप में अपनी पहचान रखती थीं। वहां उन्होंने जो संघर्ष किया और सफलता पाई उसके बारे में उन्होंने कुछ समय पहले विस्तार से बताया था। उनकी आपबीती का एक अंश इस प्रकार है- पहली शादी

    जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। सुनंदा पुष्कर भारत में तभी चर्चित हुईं जब वह शशि थरूर के संपर्क में आईं, लेकिन दुबई में वह एक सफल व्यवसायी के रूप में अपनी पहचान रखती थीं। वहां उन्होंने जो संघर्ष किया और सफलता पाई उसके बारे में उन्होंने कुछ समय पहले विस्तार से बताया था। उनकी आपबीती का एक अंश इस प्रकार है-

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    पहली शादीमेरी पहली शादी मेरी जिंदगी का स्याह पक्ष है। लोग कहते हैं कि संजय रैना ने मुडो तलाक दिया। सच यह है कि मैने उसे तलाक दिया। यह एक परेशान करने वाला रिश्ता था। जब मैं संजय से मिली तब 19 साल की थी। उससे शादी मेरी एक बड़ी गलती थी। हालांकि मैं जल्दी ही जान गई थी कि यह बेमेल मेल है और इसके बारे में मैने अपने पिता को भी बोला, लेकिन उन्होंने ध्यान नहीं दिया। दिल्ली में मुझे संजय से तलाक लेने में तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ा। मेरे परिवार वाले तलाक के पक्ष में नहीं थे। इस तलाक के बाद सुजीत ने मुडो सहारा दिया। उस समय वह किसी और महिला के साथ थे। तब मैं उनकी दोस्त भर थी।

    देखें तस्वीरें: कुछ इस तरह से मिले सुनंदा और थरूर..

    दूसरी शादी

    1988 में मैंने संजय से तलाक लिया और अगले साल दुबई चली गई। 1991 में मैंने वहां सुजीत से शादी कर ली। अगले साल शिव पैदा हुआ। दुबई में मैंने कई काम किए। पहला काम पर्यटन से जुड़ा था। सुजीत से शादी के बाद हमने मिलकर कई तरह के इवेंट आयोजित कराए। फिर मैंने कुछ लोगों के साथ मिलकर एक्सप्रेशंस नामक कंपनी बनाई। इसके तहत कई प्रोडक्ट लांच कराए और मॉडलों के शो आयोजित किए। हमने हेमंत त्रिवेदी, विक्त्रम फड़नीस, ऐश्वर्या रॉय के साथ कई शो किए। कुछ समय बाद मुझे एक बड़ी विज्ञापन कंपनी के साथ काम करने का मौका मिला। वह सबसे अच्छा दौर था। दिल्ली में सुजीत की मौत के बाद सब कुछ बदल गया। 1997 में सुजीत की दिल्ली में करोल बाग में सड़क हादसे में मौत हो गई। एक बार फिर मेरी जिंदगी अंधेरे दौर में आ गई। सुजीत तब आर्थिक रूप से मुश्किल में थे। उनकी मौत के बाद उन्हें उधार देने वाले मुझे धमकी देते थे। इसी बीच शिव गुमसुम रहने लगा और उसने बोलना बंद कर दिया। वह चार साल का था। तब स्पीच थेरेपी इतना चलन में नहीं थी। इसलिए मैं उसे इलाज के लिए कनाडा ले गई। तब मुझे सुजीत का कर्ज चुकाने के साथ अपने परिवार की भी सहायता करनी पड़ती थी। हालांकि हम खाते-पीते घर के थे। कश्मीर में हमारे बाग और अच्छी-खासी जमीन थी, लेकिन 1989 के बाद अन्य कश्मीरियों की तरह हमारे भी हालात बदल गए थे।

    दुबई से कनाडाकनाडा में मुझे नए सिरे से काम तलाशना पड़ा। तब हर कोई भारत के कंप्यूटर इंजीनियरों की तलाश में रहता था। मैंने एक आइटी कंपनी में काम किया। कुछ समय में ही हालात बदल गए और मैंने एक घर और बीएमडब्लू कार खरीद ली। 9-11 की घटना ने आइटी सेक्टर को बुरी तरह प्रभावित किया। एक समय ऐसा भी आया जब मेरे पास कोई काम नहीं था। 2004 में बेस्ट होम्स नामक रियल स्टेट कंपनी ने मुडो दुबई में जनरल मैनेजर के तौर पर काम करने का प्रस्ताव दिया। यह मेरा पसंदीदा काम था। मैंने पाया कि दुबई काफी बदल गया है और मेरे तमाम दोस्त पैसे वाले बन गए हैं। शिव को दुबई रास नहीं आया। मैं फिर से कनाडा जाने के बारे में सोचने लगी कि तभी टीकाम कंपनी ने अपने साथ काम करने का ऑफर दिया। जल्दी ही मैने अपने लिए रेंज रोवर खरीद ली और एक खूबसूरत अपार्टमेंट में रहने लगी। यह जुमेरिया पॉम में था। मैंने एक फ्लैट जुमेरिया बीच में और दो एक्जीक्यूटिव टॉवर में खरीदे। शशि से मैं करीब दो साल पहले(2008 में) अपने दोस्त सन्नी वर्की के जरिये मिली थी। उनसे दोस्ती गाढ़ी होने में करीब पांच महीने का वक्त लगा। मैं करीम और अली मोरानी को 1998 से जानती थी। वे जब आइपीएल की केकेआर से जुड़े तो तब मैं उन्हें बताती थी कि वे कैसे ज्यादा पैसे कमा सकते हैं।

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