दोषी को मिलना चाहिए सुधरने का एक मौका : हाईकोर्ट
कोर्ट ने आदेश में कहा कि याची 32 साल का है और अपने परिवार में इकलौता कमाने वाला है।
अमित कसाना, नई दिल्ली। दोषी को सुधरने का एक मौका मिलना चाहिए ताकि वह उस समाज में बेहतर योगदान दे सके, जिसका वह सदस्य है। आधुनिक समाजवादी समाज में सुधारवादी पहलू को अधिक महत्व दिया जाता है। यह टिप्पणी करते हुए हाईकोर्ट ने लूटपाट के एक मामले में दोषी राजेश कुमार (बदला हुआ नाम) को राहत प्रदान की है।
न्यायमूर्ति आइएस मेहता की पीठ ने दोषी द्वारा अब तक जेल में काटी गई तकरीबन तीन वर्ष की अवधि को ही पर्याप्त मानकर उसे रिहा करने का आदेश दिया है। निचली अदालत ने उसे पांच वर्ष की सजा सुनाई थी, जिसमें बदलाव करने की उसने हाई कोर्ट में अपील की थी।
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कोर्ट ने कहा कि सजा देने का उद्देश्य होता है कि दोषी को यह एहसास हो सके कि उसने जो कृत्य किया है, वह केवल समाज के लिए ही नुकसानदायक नहीं है बल्कि वह उसके अपने भविष्य के लिए भी घातक है। अदालत ने कहा कि सजा इसलिए दी जाती है ताकि दोषी दोबारा अपराध करने की हिम्मत न करें। उसे एहसास हो कि वह देश के कानून का पालन करने वाला नागरिक है।
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परिवार में इकलौता है कमाने वाला
कोर्ट ने आदेश में कहा कि याची 32 साल का है और अपने परिवार में इकलौता कमाने वाला है। उसे अपने बुजुर्ग माता-पिता के अलावा, पत्नी और दो बच्चों का पालन-पोषण करना है। उसे अपनी गलती का एहसास है। उसे पछतावा है और अब वह बदलना चाहता है। वह सही दिशा में जाना चाहता है। ऐसे में उसे सुधरने का एक मौका दिया जाना चाहिए।
यह है पूरा मामला
पेश मामला उत्तर-पूर्वी दिल्ली के फर्श बाजार इलाके का है। वर्ष 2013 में एक व्यक्ति के साथ लूटपाट हुई थी। इस मामले में पुलिस ने राजेश कुमार (बदला हुआ नाम) और एक अन्य को गिरफ्तार किया था। सिंतबर 2015 में निचली अदालत ने राजेश को पांच वर्ष की कैद और 5000 रुपये का जुर्माने की सजा सुनाई। इसके अलावा जान से मारने की धमकी देने के आरोप में भी उसे एक साल की सजा सुनाई। दोनों सजा एक साथ चलाई जानी थी। राजेश ने अपनी सजा में बदलाव के लिए हाईकोर्ट में अपील दायर की। याची का तर्क था कि उसे कठोर सजा दी गई है।