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    मौत का मंजर देख कांप गई रूह

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    Updated: Mon, 14 Oct 2013 03:24 AM (IST)

    सिंध नदी पर बने पुल पर मौत का ऐसा खौफनाक मंजर नजर आया कि देखने वालों की रूह कांप गई। करीब पांच सौ मीटर लंबे और 25 फुट चौड़े पुल पर 10 हजार लोग अफवाह पर ...और पढ़ें

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    दतिया, नई दुनिया। सिंध नदी पर बने पुल पर मौत का ऐसा खौफनाक मंजर नजर आया कि देखने वालों की रूह कांप गई। करीब पांच सौ मीटर लंबे और 25 फुट चौड़े पुल पर 10 हजार लोग अफवाह पर जान बचाने के लिए भागे तो उनके लिए जमीन कम पड़ गई। युवाओं ने नदी में छलांग लगा दी तो महिलाओं ने जान बचाने के लिए साड़ी के सहारे नदी में उतरने का प्रयास किया। चूंकि पुल की ऊंचाई काफी अधिक थी इसलिए साड़ियां छोटी पड़ गई और उन्हें अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। सबसे बुरी हालत बच्चों की थी। भगदड़ के दौरान मां-बाप ने बच्चों को बचाने के लिए उन्हें अपनी छाती से चिपका लिया लेकिन दम घुटने से उनकी मौत हो गई। पुल पर हर तरफ लाशें ही लाशें नजर आ रही थीं। इसके अलावा जूते-चप्पल, कपड़े और बर्तनों का भी अंबार लग गया था।

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    पढ़ें: दतिया के मंदिर में भगदड़, 109 की मौत

    झाड़ियों में लिपटे मिले दो बच्चे

    भगदड़ के दौरान पुल के नीचे नदी किनारे घनी झाड़ियों में दो बच्चे एक साड़ी में लिपटे फंसे थे और उन्हें मदद की आस थी। पर पुल पर तबाही का जो मंजर पसरा था उसके बाद किसी की हिम्मत नहीं थी कि वह आगे बढ़ने का साहस कर सके। इसे खुदा की रहमत ही कहेंगे कि तभी एक महिला राजेश्वरी देवी पुल से नीचे नदी में उतरीं और झाड़ियों से दोनों बच्चों को बचाकर अपने सीने से लगाए बाहर ले आई। एक बच्चे की मां तो मिल गई है, लेकिन दो साल की बच्ची के परिजन अभी तक नहीं मिले हैं।

    मात्र 60 पुलिसकर्मियों के भरोसे थी सुरक्षा व्यवस्था

    भोपाल, नई दुनिया ब्यूरो। भाजपा के पिछले महीने हुए कार्यकर्ता महाकुंभ में जहां पांच हजार जवानों का बल तैनात किया गया था, वहीं नवमी पूजन के लिए रतनगढ़ मंदिर पहुंचने वाले करीब पांच लाख श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए मात्र 60 पुलिसकर्मियों को लगाया गया था। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पुलिस और प्रशासन ने रतनगढ़ मंदिर की व्यवस्था को कितनी गंभीरता से लिया।

    भाजपा के कार्यकर्ता महाकुंभ में पुलिस ने जो इंतजाम किए थे, उसकी कमान आइजी उपेंद्र जैन को सौंपी गई थी। आइजी के अलावा महाकुंभ में 12 आइपीएस अफसरों और राज्य पुलिस सेवा के 60 अफसरों को अलग-अलग जिम्मेदारी दी गई थी। 250 निरीक्षकों के साथ पांच हजार जवानों को सुरक्षा में लगाया गया था। लोगों के आने-जाने के लिए कई प्रवेश द्वार बनाए गए थे। वहीं दतिया जिले के रतनगढ़ मंदिर में हर साल नवमी को होने पूजन में आसपास के अलावा उत्तर प्रदेश से भी लाखों श्रद्धालु आते हैं, यह स्थानीय प्रशासन और पुलिस को पता होता है। बावजूद इसके सुरक्षा व्यवस्था में कोताही बरती गई।

    कलेक्टर छुट्टी पर, कमिश्नर विदेश में

    मध्य प्रदेश में होने वाले चुनावों के मद्देनजर आचार संहिता लागू है, जिसके चलते सरकारी मशीनरी पूरी तरह से मदहोश है। दतिया जिले के कलेक्टर संकेत भोंडवे रविवार को अवकाश पर थे तो ग्वालियर-चंबल संभाग के कमिश्नर केके खरे विदेश में हैं। एसपी चंद्रशेखर सोलंकी भी काफी देर बाद घटनास्थल पर पहुंचे।

    निर्वाचन आयोग का मुंह ताकना पड़ा

    हादसे के बाद राहत और मुआवजे की तत्काल घोषणा करने के लिए सरकार को निर्वाचन आयोग का मुंह ताकना पड़ा। प्रदेश में चुनाव आचार संहिता प्रभावी होने के कारण इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को आयोग की अनुमति लेना जरूरी थी। मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव ने इस संबंध में निर्वाचन आयुक्त से संपर्क कर मौखिक मंजूरी हासिल की। फिर कहीं जाकर मुआवजे की घोषणा की।

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