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रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया जाए

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की मांग की है। इतना ही नहीं सेतु समुद्रम परियोजना का विरोध करते हुए राज्य सरकार ने रामसेतु को नुकसान पहुंचाने वाली किसी भी गतिविधि से केंद्र को रोकने की मांग भी की है। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को

By Edited By: Published: Tue, 30 Apr 2013 10:54 AM (IST)Updated: Tue, 30 Apr 2013 04:37 PM (IST)
रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया जाए

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की मांग की है। इतना ही नहीं सेतु समुद्रम परियोजना का विरोध करते हुए राज्य सरकार ने रामसेतु को नुकसान पहुंचाने वाली किसी भी गतिविधि से केंद्र को रोकने की मांग भी की है। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को हलफनामे का जवाब दाखिल करने के लिए तीन महीने का समय दिया है।

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सोमवार को न्यायमूर्ति एचएल दत्तू व न्यायमूर्ति जेएस खेहर की पीठ ने याची सुब्रमण्यम स्वामी के अनुरोध पर मामले की सुनवाई अगस्त तक टाल दी। कोर्ट ने कहा कि इस मामले की सुनवाई में वक्त लगेगा। लिहाजा, मामले को अगस्त में नियमित सुनवाई के दिन लिस्ट किया जाए। केंद्र सरकार की ओर से पेश एडीशनल सॉलिसिटर जनरल एचपी रावल ने भी हलफनामे का जवाब देने के लिए समय मांगा था। इस पर कोर्ट ने उन्हें जवाब दाखिल करने के लिए तीन महीने का समय दे दिया। तमिलनाडु सरकार ने हलफनामे में मांग की है, केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह आरके पचौरी की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञ समिति के निष्कर्ष को स्वीकार करे।

समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सेतु समुद्रम परियोजना का मार्ग 4ए और 6 ठीक नहीं रहेगा। इन मार्गो का पालन करने से मन्नार की खाड़ी व पालक खाड़ी की जैव विविधिता को बड़ा नुकसान पहुंचेगा। तमिलनाडु ने कहा है कि सेतु समुद्रम जनहित की परियोजना नहीं है, बल्कि आर्थिक महत्व की है। राज्य सरकार का कहना है कि केंद्र ने यह भी साफ नहीं किया है कि उसने पचौरी समिति की रिपोर्ट क्यों अस्वीकार की। इसकेअलावा रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने के बारे में भी कोई जवाब नहीं दिया गया है। राज्य सरकार की दलील है कि परियोजना से बड़ी संख्या में मछुआरे भी प्रभावित होंगे।

12 नाटिकल मील का क्षेत्र मछलियों आदि के प्रबंधन में राज्य सरकार के क्षेत्राधिकार में आता है। ऐसे में राज्य सरकार की सहमति के बिना परियोजना को अंजाम तक नहीं पहुंचाया जा सकता। तमिलनाडु सरकार का कहना है कि विपरीत प्रभावों को रोकने का इंतजाम किए बिना परियोजना पर काम नहीं हो सकता।

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