सहारा मामले पर SC सख्त, एम्बी वैली टाउनशिप जब्त करने का दिया आदेश
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सहारा से अपनी संपत्ति की सूची सौंपने को कहा है। जिससे कि बकाया राशि वसूली जा सके। इस मामले की अगली सुनवाई 27 फरवरी को होगी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सहारा समूह को सोमवार को सुप्रीमकोर्ट से बड़ा झटका लगा। सुप्रीमकोर्ट ने सहारा समूह की प्रतिष्ठित एम्बी वैली सिटी को अटैच (संबद्ध) करने का आदेश दिया है। इसके अलावा कोर्ट ने बकाया की वसूली के लिए सहारा को ऐसी संपत्तियों की सूची देने का आदेश दिया है जिन्हें नीलाम किया जा सके। कोर्ट ने साफ किया है कि सूची में दी जाने वाली संपत्तियां किसी झंझट में नहीं फंसी होनी चाहिए।
संपत्तियां पूरी तरह मुक्त होनी चाहिए।सहारा की पुणे स्थित एम्बी वैली सिटी करीब 39000 करोड़ की संपत्ति है। अटैचमेंट का अर्थ है कि एम्बी वैली सिटी सुप्रीमकोर्ट के आदेश से संबद्ध हो जायेगी और सहारा उसके बारे में कोई भी व्यापारिक लेनदेन नहीं कर पाएगा। सोमवार को ये आदेश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने निवेशकों का पैसा वापस करने के सेबी सहारा के बीच चल रहे विवाद मामले में सुनवाई के बाद दिये। मामले पर सुनवाई के दौरान सहारा ने कोर्ट को बताया कि गत 28 नवंबर के आदेश के मुताबिक सहारा ने सेबी को 600 करोड़ रुपये जमा करा दिये हैं। अभी तक सहारा कुल 11000 करोड़ रुपये दे चुका है।
इस पर सेबी के वकील प्रताप वेणुगोपाल का कहना था कि ब्याज को हटा दिया जाए तो सहारा को 14000 करोड़ रुपये तो मूलधन ही देना है। वेणुगोपाल ने बकाया भुगतान के लिए सहारा की संपत्तियां जब्त करने की सेबी की अर्जी की ओर कोर्ट का ध्यान दिलाया। उन्होंने कहा कि एम्बी वैली सिटी अटैच करने का आदेश दिया जाना चाहिये। उस अकेली संपत्ति से ही सारा बकाया चुक जायेगा। वेणुगोपाल का कहना था कि अगर एम्बी वैली सिटी अटैच हो जायेगी तो सहारा बकाया अदा करने के गंभीर प्रयास करेगा। न्यायमित्र शेखर नाफड़े ने भी वेणुगोपाल की दलीलों से सहमति जताई।
हालांकि सहारा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने इसका जोरदार विरोध किया। उन्होंने कहा कि एम्बी वैली को अटैच नही किया जाना चाहिये। ये पैसे का जरिया है। कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद एम्बी वैली सिटी अटैच करने का आदेश दिया। इसके अलावा कोर्ट ने 28 नवंबर के आदेश के मुताबिक सहारा की ओर से जमा कराए गये 600 करोड़ रुपये का ब्योरा भी आदेश में दर्ज किया। कोर्ट ने कहा कि फिलहाल उनके समक्ष बकाया मूलधन की वसूली का मुद्दा है। ब्याज के मुद्दे पर बाद में विचार किया जाएगा। सहारा ने मूलधन की अदायगी का जो रोडमैप कोर्ट में दाखिल किया उसके मुताबिक सहारा जुलाई 2019 तक मूलधन का बकाया अदा कर देगा।
कोर्ट ने सहारा को आदेश दिया कि वह 27 फरवरी तक कोर्ट में सूची दाखिल कर उन संपत्तियों का ब्योरा दे जिनकी नीलामी की जा सके। कोर्ट ने सहारा से साफ कहा है कि सूची में दी गई संपत्तियां हर तरह के झंझट से पूरी तरह मुक्त होनी चाहिये। कोर्ट ने सहारा से कहा है कि वह संपत्तियों की सूची न्यायमित्र शेखर नाफड़े और केन्द्र सरकार के वकील राणा मुखर्जी व एएसजी मनिंन्दर सिंह व सेबी के वकील को भी देंगे। जब सिब्बल ने बार बार एम्बी वैली के अटैचमेंट का विरोध किया तो कोर्ट ने कहा कि वे पहले अन्य संपत्तियों की सूची दें उसके बाद इस पर विचार किया जायेगा।कोर्ट इस मामले पर 27 फरवरी को फिर सुनवाई करेगा। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पैसे के भुगतान में देरी पर सहारा की खिंचाई भी की।
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