नेताओं की आमदनी बढ़ी पांच सौ फीसद तक, सुप्रीम कोर्ट भी हैरान
अदालत ने केंद्र को आदेश दिया है कि 12 सितंबर तक मामले से जुड़ा सारा ब्योरा मुहैया कराएं।
नई दिल्ली, प्रेट्र। नेताओं की आमदनी जिस रफ्तार से बढ़ रही है उससे सुप्रीम कोर्ट भी हैरान है, लेकिन वह इस बात से ज्यादा नाराज है कि बार-बार कहने के बावजूद केंद्र सरकार इस तरह के राजनीतिज्ञों का ब्योरा अदालत को क्यों नहीं मुहैया करा रही है। अदालत ने केंद्र को आदेश दिया है कि 12 सितंबर तक मामले से जुड़ा सारा ब्योरा मुहैया कराएं। केंद्र अगर नहीं चाहता कि ये सूचना सार्वजनिक हो तो वह सीलबंद लिफाफे में इसे अदालत में जमा करा सकता है, लेकिन उसे यह कारण भी बताना होगा कि आखिर आमदनी से जुड़े ब्योरे को वह सबके सामने लाने से क्यों बच रहा है।
जस्टिस जे चेलेमेश्वर व एस अब्दुल नजीर की पीठ ने केंद्र को फटकार लगाते हुए कहा कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने जो हलफनामा उन्हें दिया है वह अधूरा है। अदालत ने टिप्पणी की कि सरकार एक तरफ कह रही है कि वह चुनावी सुधारों की समर्थक है, लेकिन इस मसले पर वह चुप्पी साधे है। केंद्र के रवैये पर सवाल खड़े करते हुए पीठ ने कहा कि सरकार बताए कि अभी तक इस मामले में क्या कदम उठाए गए हैं।
केंद्र के वकील ने कहा कि सरकार स्वच्छ व निष्पक्ष चुनाव कराने की दिशा में अदालत के किसी भी फैसले का स्वागत करेगी। सरकार खुद ही स्वच्छ भारत अभियान चला रही है। ये केवल कचरे को साफ करने के लिए ही नहीं है। पीठ ने कहा कि उसे इस मामले में विस्तृत जानकारी चाहिए। सीबीडीटी ने ऐसे नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई की है तो उसका ब्योरा भी इसमें शामिल करें। मामले की सुनवाई गुरुवार को भी जारी रहेगी।
सुप्रीम कोर्ट में इस आशय की याचिका लोक प्रहरी नाम के गैर सरकारी संगठन ने दाखिल की थी। उसकी सुनवाई के दौरान पीठ ने यह तल्ख टिप्पणी की। याचिकाकर्ता का कहना है कि नामांकन भरते समय उम्मीदवार को अपनी संपत्ति की घोषणा करनी होती है। इसमें खुद के साथ पत्नी व बच्चों की आमदनी को शामिल किया जा रहा है, लेकिन इसमें कहीं भी इसका जिक्र नहीं है कि आमदनी का स्रोत क्या था। संगठन की मांग है कि संपत्ति की घोषणा करने वाले प्रपत्र में आमदनी के स्रोत का कालम जरूर जोड़ा जाए।
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