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    SC का फैसला, उम्मीदवार की शैक्षणिक योग्यता जानना मतदाताओं का अधिकार

    By Atul GuptaEdited By:
    Updated: Wed, 02 Nov 2016 09:39 AM (IST)

    पीठ ने कहा कि अब ये कानूनन साबित हो चुका है कि मतदाता को सूचना के अधिकार में प्रत्येक उम्मीदवार को अपनी शैक्षणिक योग्यता बतानी होती है।

    नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सुप्रीमकोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में कहा है कि उम्मीदवार की शैक्षणिक योग्यता जानना मतदाता का मौलिक अधिकार है। और शैक्षणिक योग्यता की गलत जानकारी देने पर नामांकन रद हो सकता है।

    न्यायमूर्ति एआर दवे व न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की पीठ ने चुनाव रद करने के मणिपुर हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर लगाते हुए कहा कि सुप्रीमकोर्ट के पूर्व फैसलों को देखते हुए ये साफ हो गया है कि उम्मीदवार की शैक्षणिक योग्यता के बारे में जानना मतदाता का मौलिक अधिकार है। कानूनी प्रावधानों नियमों और फार्म 26 से ये भी साफ होता है कि उम्मीदवार का कर्तव्य है कि वह अपनी शैक्षणिक योग्यता की सही जानकारी दे।

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    पीठ ने हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए ये भी कहा कि जब चुनाव मैदान में सिर्फ दो उम्मीदवार हों और ये साबित हो जाए कि चुने गये उम्मीदवार का नामांकन गलत तरीके से स्वीकार हुआ था तो बाकी बचे एकमात्र हारे उम्मीदवार को ये साबित करने की जरूरत नहीं है कि इससे चुनाव का नतीजा प्रभावित हो सकता था। ये मामला 2012 के मणिपुर विधानसभा चुनाव का है। इसमें मैरबन प्रथ्वीराज उर्फ प्रथ्वीराज सिंह और पुखरेम शरदचंद्र सिंह के बीच चुनाव हुआ था। हाईकोर्ट ने पुखरेम की चुनाव याचिका स्वीकार करते हुए प्रथ्वीराज का चुनाव रद कर दिया थआ। जिसके खिलाफ प्रथ्वीराज ने सुप्रीमकोर्ट में अपील दाखिल की थी।

    2012 के विधानसभा चुनाव में प्रथ्वीराज सिंह ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) से चुनाव लड़ा था। प्रथ्वीराज सिंह ने अपनी शैक्षणिक योग्यता में स्वयं को एमबीए घोषित किया था। जिसे प्रतिवादी उम्मीदवार पुखरेम शरदचंद्र ने झूठी जानकारी कहते हुए चुनौती दी थी। बाद में ये साबित भी हुआ कि प्रथ्वीराज ने एमबीए नहीं किया था। प्रथ्वीराज का कहना था कि ये सिर्फ क्लेरिकल गलती है लेकिन हाईकोर्ट ने उसकी ये दलील ठुकरा दी थी।

    सुप्रीमकोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि याचिकाकर्ता ने मैसूर विश्वविद्यालय से एमबीए नहीं किया था और उसकी क्लेरिकल गलती की दलील भी नहीं स्वीकारी जा सकती क्योंकि उसने ये गलती पहली बार नहीं की। वह 2008 से अपने हलफनामें में कहता चला आ रहा है कि वह एमबीए है ऐसे में उसके द्वारा फार्म 26 के हलफनामें में दी गई ये जानकारी झूठी घोषणा मानी जाएगी। कोर्ट ने कहा कि जब उससे रिटर्निग आफीसर ने शैक्षणिक योग्यता के बारे में दस्तावेज पेश करने को कहा था कम से कम तब तो उसे रिटर्निग आफीसर को बताना चाहिए था कि ये क्लेरिकल गलती है। उसने ऐसा नहीं किया।

    पीठ ने कहा कि अब ये कानूनन साबित हो चुका है कि मतदाता को प्राप्त सूचना के अधिकार में प्रत्येक उम्मीदवार को अपनी शैक्षणिक योग्यता बतानी होती है। शैक्षणिक योग्यता के बारे में गलत जानकारी देकर याचिकाकर्ता ये नहीं कह सकता कि ये जानकारी ऐसी अहम प्रकृति की नहीं है जिसके आधार पर नामांकन रद हो। सुप्रीमकोर्ट ने दलीलें नकारते हुए कहा कि शैक्षणिक योग्यता के बारे में की गई घोषणा अहम जानकारी मानी जाएगी।

    सुप्रीमकोर्ट ने इस कानूनी प्रश्न को भी खंगाला है कि जब मैदान में सिर्फ दो ही उम्मीदवार हो और निर्वाचित उम्मीदवार का नामांकन गलत तरीके से स्वीकार करना पाया जाता है तो क्या चुनाव रद होने के लिए दूसरे उम्मीदवार ये साबित करना होगा कि इससे चुनाव का नतीजा प्रभावित हो सकता था। कोर्ट ने कहा कि जब मैदान में दो ही उम्मीदवार हों तो दूसरे को ये साबित नहीं करना पड़ेगा। कोर्ट ने प्रथ्वीराज की अपील खारिज कर दी।

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