SC के आदेश के तहत सुबह 6 बजे से पहले नहीं हो सकता लाउड स्पीकरों का इस्तेमाल
अजान के लिए होने वाले लाउड स्पीकरों पर उठाए गए सवाल पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को सही से लागू किया जाए तो ऐसे सवाल उठेंगे ही नहीं।
लखनऊ (जेएनएन)। गायक सोनू निगम के ट्वीट के बाद अजान में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को लेकर देश में हर तरफ प्रतिक्रियाओं का दौर जारी है। अजान के लिए क्या लाउडस्पीकर अनिवार्य है? इस पर दैनिक जागरण ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य व मुस्लिम धर्मगुरुओं से बात की तो उन्होंने इस तरह की कोई भी पाबंदी सबके ऊपर लगाने की बात कही। उनका मानना है कि रात में दस से सुबह छह बजे तक लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध तो सुप्रीम कोर्ट ने ही लगा रखा है और इसे बिना भेदभाव के लागू किया जाए तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं।
सुप्रीम कोर्ट पहले ही दे चुका है इस बाबत आदेश
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना डॉ. कल्बे सादिक का कहना है कि पहले एक बात समझना बेहद जरूरी है कि इस तरह के मसले क्यों उठ रहे हैं। जब सुप्रीम कोर्ट पहले ही लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को लेकर आदेश दे चुका है, तो फिर इस तरह के सवाल-जवाब का कोई मतलब नहीं रह जाता है। सुप्रीम कोर्ट का जो भी आदेश है उसी के अनुसार लाउडस्पीकर का इस्तेमाल होना चाहिए।
गंगा-जमुनी तहजीब पर न हो विवाद
बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली का कहना है कि यहां मंदिरों की गूंजती घंटियों और अजान के बीच सबकी सुबह होती है। ऐसी गंगा-जमुनी तहजीब को इस तरह के विवादों में नहीं घसीटा जाए तो बेहतर होगा।
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सभी के लिए बराबर तय हों नियम और कानून
वहीं, अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष व पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य कमाल फारूखी का कहना है कि बेशक अजान के लिए लाउडस्पीकर जरूरी नहीं है, लेकिन केवल एक मजहब को लेकर इस तरह की बात उठेगी तो फिर आपत्ति होगी। देश सभी मजहबों का है, इसलिए जो भी हो, सबके लिए हो तो किसी को एतराज नहीं होगा।
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शाही इमाम की अपील कम हो लाउडस्पीकर की आवाज
बॉलीवुड सिंगर सोनू निगम द्वारा लाउडस्पीकर से तेज आवाज में अजान पर आपत्ति जताए जाने के बाद फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम डॉ. मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने लाउडस्पीकर की आवाज कम करने की अपील संबंधित मस्जिद के लोगों से की है। उनके मुताबिक इस्लाम में पड़ोसी को सबसे ऊपर बताया गया है। अगर पड़ोसी को लाउडस्पीकर की आवाज से परेशानी है तो उसकी आवाज को कम से कम किया जाना चाहिए। उन्होंने ने कहा कि मजहब में सबसे पहले पड़ोसी का ध्यान रखने को कहा गया है। चाहे वह किसी भी धर्म का हो। अजान देते समय ख्याल रखा जाता है कि इससे बीमार और छात्र समेत किसी को परेशानी न हो।
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