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    जानिए, इशरत जहां केस में आरोपी पीपी पांडे ने क्‍यों छोड़ा गुजरात डीजीपी का पद

    By Tilak RajEdited By:
    Updated: Mon, 03 Apr 2017 06:46 PM (IST)

    पूर्व आइपीएस अधिकारी जूलियो रिबेरो ने इसके खिलाफ सुप्रीम में याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि पीपी पांडे इशरत जहां समेत कई मामलों में आरोपी रहे हैं।

    जानिए, इशरत जहां केस में आरोपी पीपी पांडे ने क्‍यों छोड़ा गुजरात डीजीपी का पद

    नई दिल्‍ली(जेएनएन)। उच्चतम न्यायालय ने आज गुजरात सरकार को पुलिस महानिदेशक पीपी पांडेय की तत्काल इस्तीफा देने की पेशकश स्वीकार करने की अनुमति दे दी जो इस साल 30 अप्रैल तक सेवा विस्तार पर हैं। प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने गुजरात सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का यह अावेदन दर्ज किया कि शीर्ष पुलिस अधिकारी ने खुद पत्र लिखा है कि वह तत्काल इस्तीफा देना चाहते हैं, यदि सरकार भी ऐसा चाहती हो।

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    पीठ ने कहा कि राज्य सरकार के संकल्प के मद्देनजर हमारा मत है कि मुख्य याचिका निष्फल रही है।’’ पुलिस महानिदेशक और पुलिस महानिरीक्षक के रूप में पांडेय की नियुक्ति तथा विस्तार को एक जनहित याचिका के जरिए चुनौती दी गई है। पीठ ने दर्ज किया कि पांडेय ने पत्र में इस्तीफा देने की इच्छा व्यक्त की है और राज्य सरकार से 30 अप्रैल तक अपनी नियुक्ति की अधिसूचना निरस्त करने का आग्रह किया है। शीर्ष अदालत ने 31 मार्च को गुजरात सरकार से कहा था कि वह पांडेय की पदोन्नति तथा तीन महीने के सेवा विस्तार के खिलाफ दायर याचिका पर जवाब दाखिल करे। न्यायालय ने सरकार को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए शुक्रवार तक का समय देने से इनकार कर दिया था। पांडेय इशरत जहां मुठभेड़ मामले में जमानत पर हैं।

    अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने निर्देश लेने के लिए पीठ से समय मांगा था और न्यायालय से कहा था कि पांडेय ने बल की 30 साल तक सेवा की है । याचिकाकर्ता पूर्व पुलिस आयुक्त जूलियो फ्रांसिस रिबेरो की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा था कि पांडेय को हत्या मामले में आरोपी होने के बावजूद जमानत दी गई, बहाल किया गया, पदोन्नत किया गया और पुरस्कृत किया गया ।

    केंद्रीय मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने पांडेय को तीन महीने का सेवा विस्तार दे दिया था जिन्हें 31 जनवरी को सेवानिवृत्त होना था। अहमदाबाद के बाहरी इलाके में 15 जून 2004 को इशरत जहां, जावेद शेख उर्फ प्रणेश पिल्लै, अमजद अली अकबर अली राणा और जीशान जौहर के कथित मुठभेड़ में मारे जाने के समय पांडेय गुजरात की अपराध शाखा के प्रमुख थे ।

    गुजरात पुलिस ने दावा किया था कि इन लोगों के आतंकवादियों से संबंध थे और वे तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को मारने की साजिश रच रहे थे। उच्च न्यायालय द्वारा गठित एक एसआईटी ने इसे फर्जी मुठभेड़ बताया था। इसके बाद उच्च न्यायालय ने मामला सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया था। जमानत पर रिहा होने के बाद पांडेय को फरवरी 2015 में वापस सेवा में ले लिया गया था और राज्य के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो का निदेशक नियुक्त किया गया था। पिछले साल 16 अप्रैल को पांडेय को गुजरात का प्रभारी पुलिस महानिदेशक नियुक्त किया गया था ।

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