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    पनडुब्बी हादसे से समुद्री जीवों व पर्यावरण पर खतरे के बादल

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    Updated: Fri, 16 Aug 2013 10:27 PM (IST)

    मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड में विस्फोट के बाद पानी में समाई पनडुब्बी आइएनएस सिंधुरक्षक ने जलीय जीवों और समुद्री पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा खड़ा कर दिया है। दरअसल पनडुब्बी के ईधन टैंक में तकरीबन 200 टन डीजल, विद्युत आपूर्ति करने वाली 400 से ज्यादा बैटरियों व अन्य ज्वलनशील वस्तुएं हैं। यदि डीजल और अ

    मुंबई, विनोद मेनन (मिड-डे)। मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड में विस्फोट के बाद पानी में समाई पनडुब्बी आइएनएस सिंधुरक्षक ने जलीय जीवों और समुद्री पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा खड़ा कर दिया है। दरअसल पनडुब्बी के ईधन टैंक में तकरीबन 200 टन डीजल, विद्युत आपूर्ति करने वाली 400 से ज्यादा बैटरियों व अन्य ज्वलनशील वस्तुएं हैं। यदि डीजल और अन्य चीजें पानी में मिल गई तो जलीय जीवों व पर्यावरण को बड़ा नुकसान हो सकता है। हालांकि तटरक्षक बल का प्रदूषण रोधी दल राहत अभियान में नौसेना के साथ काम कर रहा है, ताकि नुकसान को रोका या कम किया जा सके।

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    नौसेना के पनडुब्बी विशेषज्ञ रियर एडमिरल (सेवानिवृत्त) के.राजा मेनन के मुताबिक, रूस निर्मित 877इकेएम टाइप पनडुब्बी सिंधुरक्षक में विद्युत आपूर्ति के लिए एक हजार किलोवाट वाले डीजल चालित दो जनरेटर, पांच हजार पांच सौ हार्स पावर की मोटर लगी है। पनडुब्बी में लगी 400 बैटरियों को चार्ज करने में करीब 200 टन डीजल की जरूरत पड़ती है। नौसेना में सह प्रमुख (अभियान) के पद से सेवानिवृत्त हुए मेनन ने कहा, पनडुब्बी में डीजल के अलावा तारपीडो ईधन, मिसाइल ईधन, आक्सीजन व हाईड्रोजन वाले सिलेंडर भी होते हैं, यह सभी ज्वलनशील है। यदि यह पानी में मिल गए तो दिक्कत होगी। हालांकि राहत की बात यह है कि हादसा शांति काल में हुआ है और पनडुब्बी में उसकी क्षमता के मुताबिक तारपीडो (533 मिमी के छह ट्यूब, भारी क्षमता के 18 तारपीडो), मिसाइलें और एक साथ दो लक्ष्यों को भेदने वाला स्वचालित रैपिड लोडर नहीं लदा था। मेनन ने कहा, नौसेना हादसे को तो नहीं रोक सकी लेकिन समुद्री जीवन व पर्यावरण को बचाने के सभी कदम उठाएगी।

    वहीं, राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.जे.जेसवार ने कहा, पनडुब्बी में लदा डीजल व अन्य ज्वलनशील वस्तुएं चिंता का विषय हैं। डीजल पानी में मिल गया तो सूरज की रोशनी नीचे नहीं जाएगी जिससे सामुद्रिक वनस्पतियां का जीवन चक्र प्रभावित होगा। डीजल के संपर्क में आने से मछलियां व अन्य जीवों पर संकट आएगा। छोटी मछलियां आदि खाकर जीवित रहने वाली बड़ी मछलियां संक्रमित होंगी। उनका सेवन कर मानव जाति बीमार होगी। इतना ही नहीं यदि समुद्र के पानी में डीजल पंद्रह दिन या उससे ज्यादा रहा तो पानी में आक्सीजन का स्तर कम हो जाएगा, जिससे तमाम जीव जंतुओं की मौत हो सकती है। वहां महाराष्ट्र के प्रदूषण नियंत्रण परिषद ने गेटवे ऑफ इंडिया, वरली, जूहू आदि इलाकों से समुद्री जल के नमूने एकत्र किए हैं।

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