गांव व बुनियादी क्षेत्र पर खर्च बढ़ाएं राज्यः जेटली
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ढांचागत व सामाजिक क्षेत्रों और गांवों में खर्च बढ़ाने को राज्यों का आह्वान किया है।
नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ढांचागत व सामाजिक क्षेत्रों और गांवों में खर्च बढ़ाने को राज्यों का आह्वान किया है। वित्त मंत्री का कहना है कि चौदहवें वित्त आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद राज्यों के पास पर्याप्त संसाधन हैं इसलिए उन्हें इन क्षेत्रों पर निवेश बढ़ाना चाहिए। जेटली ने सरकारी व्यय में लीकेज रोकने का भी राज्यों से आग्रह किया है।
जेटली ने सोमवार को यहां राज्यों के वित्त सचिवों की बैठक को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने राज्यों को वित्तीय अनुशासन बनाए रखने का आग्रह भी किया। वित्त मंत्री ने कहा कि राज्य अपने वित्तीय संसाधनों का प्रभावी ढंग से इस्तेमाल करें। उन्होंने कहा कि 14वें वित्त आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद राज्यों के पास राजकोषीय गुंजाइश बढ़ी है। वहीं धनराशि के आवंटन में केंद्र के पास विशेषाधिकार भी अब नहीं रहा है।
जेटली ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की चुनौतियों को देखते हुए सार्वजनिक व्यय को बढ़ाकर ही विकास दर को ऊपर उठाया जा सकता है। इसलिए राज्यों को ढांचागत, सामाजिक और ग्रामीण क्षेत्र के विकास के लिए अधिक खर्च करना चाहिए। वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने भी बैठक को संबोधित किया। उन्होंने राज्यों से आग्रह किया कि वे गरीबों को सरकारी योजनाओं का लाभ पूरा पहुंचाने के लिए जन-धन, आधार और मोबाइल की तिकड़ी का इस्तेमाल करें।
आवंटन के वर्गीकरण के लिए समिति
आम बजट में योजनागत और गैर योजनागत आवंटन की मौजूदा व्यवस्था को एक अप्रैल 2017 से खत्म करने की घोषणा के बाद सरकार ने केंद्र और राज्यों के बजटीय आवंटन के नए वर्गीकरण पर एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है। नए वर्गीकरण के तहत बजटीय आवंटन सिर्फ राजस्व और पूंजीगत के तौर पर ही दर्ज होगा। यह व्यवस्था आम बजट 2017-18 से लागू हो जाएगी। माना जा रहा है कि बजट में धनराशि के वर्गीकरण की नई व्यवस्था से व्यय को परिणामोन्मुखी बनाया जा सकेगा। साथ ही सरकारी धन के व्यय का प्रबंधन भी सरल हो सकेगा।
वित्तीय खातों के नए फॉरमेट
वित्त सचिव रतन वातल ने सोमवार को यहां राज्यों के वित्त सचिवों की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि वित्त मंत्रालय ने विशेष सचिव (व्यय) की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है, जिसमें राज्यों के सचिव भी शामिल होंगे। यह समिति बजट वक्तव्य और वित्तीय खातों के नए फॉरमेट का सुझाव देगी। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि योजनागत और गैर-योजनागत आवंटन का खत्म होने का मतलब यह नहीं है कि नियोजन प्रक्रिया बंद हो जाएगी। उन्होंने कहा कि नीति आयोग मध्यावधि फ्रेमवर्क बनाने की संभावनाएं तलाश रहा है। यह क्षेत्रवार हो सकता है।
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