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    अग्नि-5 प्रक्षेपास्त्र की प्रमुख विशेषताएं

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    Updated: Thu, 19 Apr 2012 08:16 PM (IST)

    अग्नि-5 के सफल प्रक्षेपण के बाद भारत अंतर महाद्वीपीय मिसाइल [आईसीबीएम] से लैस दुनिया का छठा देश बन गया है। इससे पहले अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और चीन के पास ऐसी मिसाइलें हैं।

    अग्नि-5 के सफल प्रक्षेपण के बाद भारत अंतर महाद्वीपीय मिसाइल [आईसीबीएम] से लैस दुनिया का छठा देश बन गया है। इससे पहले अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और चीन के पास ऐसी मिसाइलें हैं।

    -पूर्णत: स्वदेश में विकसित इस मिसाइल को रक्षा अनुसंधान एंड विकास अनुसंधान ने तैयार किया है।

    -चीन के लिहाज से अग्नि श्रृंखला की मिसाइलें खासकर अग्नि-5 काफी महत्वपूर्ण है। चीन द्वारा विवादित क्षेत्र तिब्बत में लंबी दूरी की मिसाइलें तैनात करने के बाद अग्नि-5 का प्रक्षेपण काफी महत्वपूर्ण है।

    -अग्नि-5 मिसाइल की मारक क्षमता पांच हजार किलोमीटर से ज्यादा है और इसकी जद में पूरा एशिया, अफ्रीका और यूरोप के कुछ हिस्से आ जाएंगे।

    -एक बार इसे दागने के बाद रोकना मुश्किल है। इसकी रफ्तार गोली से भी ज्यादा तेज है और यह 1.5 टन परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है।

    -इसका प्रक्षेपण प्रणाली इतना सरल है कि इसे सड़क किनारे से भी छोड़ा जा सकता है।

    -कुछ और प्रक्षेपण के बाद इसे 2014-15 तक सेना में शामिल किया जा सकेगा।

    -यह मिसाइल एक ही मिसाइल में कई परमाणु वारहेड के प्रयोग के तकनीकी पक्ष को बताने में सहायक सिद्ध होगा।

    -अग्नि-5 से छोटे सेटेलाइट लांच किए जा सकते हैं। साथ ही यह अक्ष में उपस्थित दुश्मन सेटेलाइट को मार गिराने में भी सक्ष्म होगा।

    -इस मिसाइल को रक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी की अनुमति के बाद ही छोड़ा जा सकेगा।

    -इस मिसाइल की लंबाई 17.5 मीटर है और इस पर करीब 2500 करोड़ रुपये की लागत आई है।

    -अग्नि-5 में इस्तेमाल की गई तकनीकें अमेरिका जैसे देशों की मिसाइलों में उपयोग होने वाली तकनीक से भी बेहतर है। इसकी तकनीकों में समग्र रॉकेट मोटर, माइक्रो नेवीगेशन सिस्टम शामिल है।

    -तीन चरणों में काम करने वाली इस मिसाइल में ठोस ईधन का इस्तेमाल किया है। पहले चरण में रॉकेट इंजन मिसाइल को 40 किमी ऊपर ले जाता है, दूसरे चरण में यह 150 किमी धकेलता है और तीसरे चरण में यह धरती से 300 किमी जाता है। अंतत: यह धरती से 800 किमी की दूरी तक जाता है।

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