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    इराक में फंसे सिवान के 40 युवक

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    Updated: Sun, 22 Jun 2014 07:15 AM (IST)

    इराक में गहराते संकट के बीच बिहार के सिवान जिले के करीब 40 युवाओं की जान खतरे में है। ये सभी इराक के बसरा शहर में फंसे हैं। इनके साथ कुछ गोपालगंज के य ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, सिवान। इराक में गहराते संकट के बीच बिहार के सिवान जिले के करीब 40 युवाओं की जान खतरे में है। ये सभी इराक के बसरा शहर में फंसे हैं। इनके साथ कुछ गोपालगंज के युवक भी हैं। सभी एंग्लो ईस्टर्न कंपनी में काम करते हैं। शनिवार को इराक के बसरा शहर से एंग्लो ईस्टर्न कंपनी के कार्यालय से छिपकर एक युवक ने जागरण संवाददाता को आपबीती सुनाई।

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    रघुनाथपुर के अमवारी निवासी सुनील यादव ने फोन पर रोते हुए कहा- 'आप लोग किसी तरह हम सभी को बचा लीजिए। इराक का विद्रोही गुट कुछ ही दूरी पर है। सुनील ने बताया कि एजेंट ने हमारे साथ धोखाधड़ी कर दुबई की जगह इराक भिजवा दिया था। हमारे साथ अपने देश के सैकड़ों मजदूर हैं। सुनील ने बताया उसके साथ रघुनाथपुर भुसी टोला के राजन यादव, सैचानी निवासी गोपाल भगत, दारौंदा के पंकज कुमार सिंह, जीरादेई प्रखंड के तितरा के नीरज कुमार गुप्ता, दरौली के संजय चौधरी, पचरुखी के जितेन्द्र यादव, गोपालगंज के कमलेश कुमार प्रसाद, दीपक यादव, जौनपुर [उप्र] विजय बहादुर यादव सहित तीन दर्जन से अधिक लोग फंसे हैं। उन्हें बाहर निकालने का कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। तत्काल उनकी मदद नहीं की गई तो जान भी जा सकती है। सुनील यादव के पिता रमेश यादव अपने बेटे की सकुशल रिहाई के लिए स्थानीय सांसद ओमप्रकाश यादव, विधायक विक्रम कुंवर से मिले। सांसद ने आवश्वासन दिया कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से बात कर युवकों की सकुशल रिहाई कराई जाएगी।

    बेटे की चिंता में छोड़ दिया अन्न-जल

    गोपालगंज जिले के कटेया थाना क्षेत्र के तिवारी बेलवां गांव निवासी भोला बारी के पुत्र बलराम अपने घर की खराब माली हालत को सुधारने दो वर्ष पूर्व इराक गए थे। वे नजाफ शहर के करबला रोड स्थित फोर्थ डाइमेंशन कंपनी में काम करते हैं। इराक के शहरों में आतंकवादियों के कब्जे की खबर सुनकर घर में अकेली रह रहीं बलराम की मां बसंती देवी परेशान हैं। उनके पति की मौत हो चुकी है और बेटा ही एकमात्र सहारा है। अपने लाल की चिंता में उन्होंने अन्न-जल त्याग दिया है। जिले के ही बैकुंठपुर के बखरी गांव निवासी बृजमोहन सिंह के पुत्र रविरंजन दो माह पूर्व रोजगार के लिए इराक गए थे। वे बराक शहर में बीएसएल कंपनी में काम करते हैं। इराक के बिगड़ते हालात से उनके विकलांग पिता काफी चिंतित हैं। बृजमोहन सिंह ने बताया कि अभी उनके बेटे को कंपनी से वेतन के रूप में एक रुपया भी नहीं मिला था कि वह संकट में फंस गया।

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