विधानसभा अध्यक्ष पद पर शिवसेना की नजर
अब तक महाराष्ट्र की भाजपा सरकार में शामिल होने से वंचित रही शिवसेना अब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, कांग्रेस पार्टी एवं कुछ छोटे दलों की मदद से विधानसभा अध्यक्ष का पद हथियाने के जुगाड़ में लग गई हैं।
मुंबई, ओमप्रकाश तिवारी। अब तक महाराष्ट्र की भाजपा सरकार में शामिल होने से वंचित रही शिवसेना अब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, कांग्रेस पार्टी एवं कुछ छोटे दलों की मदद से विधानसभा अध्यक्ष का पद हथियाने के जुगाड़ में लग गई हैं।
शिवसेना के कुछ विधायकों ने शुक्रवार की रात पुणे में राकांपा नेता अजीत पवार से एवं कुछ विधायकों ने राकांपा के ही दूसरे नेता छगन भुजबल से मुलाकात की है। भुजबल की तरफ से इस मुलाकात का खंडन भी नहीं किया गया है। पता चला है कि शिवसेना क्रांग्रेस सहित कुछ छोटे दलों व निर्दलीय विधायकों से भी विधानसभा अध्यक्ष के मुद्दे पर समर्थन के लिए चर्चा कर रही है।
288 सदस्योंवाली विधानसभा में शिवसेना के 63, कांग्रेस के 42 एवं राकांपा के 41 विधाय हैं। इन तीनों दलों को मिलाकर विधायकों की संखया 143 होती है। 19 अक्तूबर को चुनाव परिणाम आने के बाद एक खबर इन तीनों दलों को मिलाकर सरकार बनाने की भी चली थी। ताकि भाजपा को सत्ता में आने से रोका जा सके। लेकिन राकांपा द्वारा पहले ही भाजपा को बाहर से समर्थन की घोषणा कर दिए जाने से यह प्रयास सफल नहीं हो सका।
भाजपा से सरकार में शामिल होने की बातचीत के दौरान भी शिवसेना उपमुखयमंत्री या विधानसभा अध्यक्ष के पद की मांग करती रही है। जिसे भाजपा द्वारा नजरंदाज किया जाता रहा है। अब शिवसेना अन्य दलों को साथ लेकर अपने दम पर विधानसभा अध्यक्ष पद पर कब्जा करना चाहती है। उसे लगता है कि पिछले 15 साल से विधानसभा अध्यक्ष पद अपने पास रखती आई राकांपा उसे इस मुद्दे पर समर्थन देगी।
बता दें कि 2004 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से ज्यादा सीटें जीतने के बावजूद राकांपा ने मुखयमंत्री पद तो कांग्रेस को दे दिया था, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष का पद अपने पास रखा था। शिवसेना इसी आधार पर राकांपा को साथ लेकर विधानसभा अध्यक्ष का पद अपने पास रखना चाहती है। ताकि सरकार को मनमानी करने से रोका जा सके। लेकिन अभी राकांपा या कांग्रेस की तरफ से उसे इस मुद्दे पर समर्थन मिलने की पुष्टि नहीं हुई है।
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