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    राकांपा ने भी कांग्रेस को मुश्किल में डाला

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    Updated: Sat, 01 Feb 2014 01:38 AM (IST)

    चुनाव से पहले साथी सहयोगियों को बढ़ाने की बजाय कांग्रेस के सामने अपने पुराने साथियों को ही जोड़े रखने की चुनौती खड़ी हो गई है। चुनावी सर्वे में पिछड़ रही कांग्रेस को नेशनल कांफ्रेंस के बाद दूसरे सहयोगी राकांपा ने भी मुश्किल में डाल दिया है। राकांपा सुप्रीमो शरद पवार और नरेंद्र मोदी की मुलाकात भले ही खारिज की जा रही हो, लेकिन पार्टी नेताओं ने राहुल गांधी के मुकाबले मोदी को ज्यादा योग्य बताकर और विकल्प खुले होने की बात कहकर राजनीतिक संकेत तो दे ही दिया है।

    नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। चुनाव से पहले साथी सहयोगियों को बढ़ाने की बजाय कांग्रेस के सामने अपने पुराने साथियों को ही जोड़े रखने की चुनौती खड़ी हो गई है। चुनावी सर्वे में पिछड़ रही कांग्रेस को नेशनल कांफ्रेंस के बाद दूसरे सहयोगी राकांपा ने भी मुश्किल में डाल दिया है। राकांपा सुप्रीमो शरद पवार और नरेंद्र मोदी की मुलाकात भले ही खारिज की जा रही हो, लेकिन पार्टी नेताओं ने राहुल गांधी के मुकाबले मोदी को ज्यादा योग्य बताकर और विकल्प खुले होने की बात कहकर राजनीतिक संकेत तो दे ही दिया है।

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    महाराष्ट्र के एक अखबार में छपी खबर में कहा गया है कि राकांपा प्रमुख की नई दिल्ली में 17 जनवरी को भाजपा के पीएम प्रत्याशी के साथ गुप्त बैठक हुई थी। दोनों नेताओं ने करीब आधे घंटे बातचीत की। खबर के मुताबिक इस बैठक की जानकारी राकांपा और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को भी नहीं थी। हालांकि शरद पवार ने शुक्रवार को इस खबर का जोरदार खंडन करते हुए कहा है कि उनकी एक साल से मोदी से कोई मुलाकात नहीं हुई है। भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने भी ऐसी किसी मुलाकात से इन्कार करते हुए कहा है कि राकांपा के साथ गठबंधन को लेकर कोई बातचीत नहीं चल रही। लेकिन एक के बाद एक जिस तरह से राकांपा के नेता मोदी के पक्ष में खड़े हो रहे हैं, उसने कांग्रेस के लिए परेशानी बढ़ा दी है। दो दिन पहले प्रफुल्ल पटेल ने गुजरात दंगे को तूल दिए जाने को गलत ठहराते हुए कहा था कि कोर्ट से कोई बरी हो जाता है तो फिर उस पर सवाल नहीं खड़े किए जाने चाहिए। वहीं शुक्रवार को राकांपा के महासचिव डीपी त्रिपाठी ने मोदी को राहुल से ज्यादा योग्य बता दिया। उन्होंने यह कहने में भी गुरेज नहीं किया कि राकांपा कई दूसरे दलों के भी संपर्क में है। प्रफुल्ल पटेल ने भी कहा कि हमारे विकल्प खुले हुए हैं।

    हालांकि, चुनाव पूर्व राकांपा की राजग से न तो दोस्ती हो सकती है और न ही शिवसेना इसके लिए तैयार है। शिवसेना ने स्पष्ट कर दिया है कि राजग में राकांपा के लिए जगह नहीं है। शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि हम उन्हें राजग में शामिल होने की अनुमति नहीं देंगे। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने भी कहा कि राकांपा के राजग में जाने की कोई संभावना नहीं है। हालांकि अंदरखाने कांग्रेस इसे चुनाव से पहले सीटों को लेकर दबाव बढ़ाने की रणनीति के रूप में देख रही है। लेकिन उसे यह भी अहसास है कि संप्रग के अंदर ही बढ़ रही दरार का असर घातक हो सकता है। कुछ ही दिन पहले जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी कांग्रेस को आगाह कर चुके हैं कि उनकी मांगें नहीं मानी गई तो रिश्ता टूट सकता है। मौका देख भाजपा ने भी हमला शुरू कर दिया है। भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने कहा कि संप्रग में भगदड़ है और कांग्रेस हताश। यही कारण है कि अमेठी गढ़ को सुरक्षित करने के लिए भी सुरक्षा दीवार खड़ी की जा रही है। इसके लिए किसी को राज्यसभा भेजा जा रहा है तो सपा और बसपा से भी अल्पसंख्यक उम्मीदवार न उतारने के लिए मोलभाव हो रहा है। इससे पहले पार्टी नेता रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस को डूबता जहाज बताया और कहा कि इसकी सवारियां छोड़कर जा रही हैं। इस पर केंद्रीय सूचना व प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि राजग के सहयोगी तो पहले ही साथ छोड़ चुके हैं और विपक्षी पार्टी का जहाज डूब चुका है।

    'गुजरात के तीन बार मुख्यमंत्री रहने के कारण नरेंद्र मोदी में राहुल गांधी से ज्यादा प्रशासकीय क्षमता है।'

    -डीपी त्रिपाठी, राकांपा महासचिव

    'राकांपा संप्रग का अभिन्न हिस्सा है, राजग में जाने की कोई संभावना नहीं है।' -अभिषेक मनु सिंघवी, कांग्रेस प्रवक्ता

    'हताश कांग्रेस को अमेठी बचाने के लिए भी मोलभाव करना पड़ रहा है।' - अरुण जेटली, भाजपा नेता

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