कोर्ट ने सुनाया फैसला, आपसी सहमति से बना शारीरिक संबंध; रेप नहीं
महिला द्वारा धोखाधड़ी व रेप के मामले पर फैसला सुनाते हुए सेशन कोर्ट ने आरोपी को यह कहकर बरी कर दिया कि आपसी सहमति से शारीरिक संबंध, 'रेप' नहीं। ...और पढ़ें

मुंबई। मुंबई की सेशन कोर्ट में आए एक मामले का फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि आपसी सहमति से बना शारीरिक संबंध रेप के दायरे में नहीं आ सकता। इसलिए कोर्ट ने अभियुक्त को बरी कर दिया।
आपको बता दें, एक विवहित महिला ने 35 वर्षीय पुरुष के खिलाफ धोखा देने और रेप का मामला दर्ज कराया था।
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विवाहित महिला ने मामला दर्ज कराया कि वह अभियुक्त के बच्चे की मां बनने वाली थी और उसने शादी से इंकार कर दिया। कोर्ट ने कहा यह अस्पष्ट था कि महिला कानूनन उस आदमी से शादी करने की स्थिति में थी या नहीं क्योंकि उसके पास इसके लिए कोई कागज नहीं था।
9 वर्षीय बेटे के साथ रह रही महिला ने कहा कि 2012 के जुलाई में वह अभियुक्त से मिली थी। अभियुक्त ने शादी का प्रस्ताव रखा लेकिन महिला ने अपनी पहली शादी व बच्चे के बारे में बताया। इसके बाद अभियुक्त ने उसे यह कहकर डराया और धमकाया कि अगर उसने प्रस्ताव को ठुकरा दिया तो वह आत्महत्या कर लेगा। अभियुक्त ने यहां तक कहा कि शादी के बाद बेटे को गोद ले लेगा। शुरु में इंकार के बाद महिला मान गयी। इसके बाद अगस्त 2012 से ये साथ रहने लगे। इसके बाद अभियुक्त ने महिला को शारीरिक संबंध बनाने के लिए यह कहकर मनाना शुरू किया कि जल्द ही वे दोनों शादी के बंधन में बंध जाएंगे तो इसमें कोई रुकावट नहीं है।
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महिला के अनुसार, प्रेग्नेंट होने का पता चलते ही उसने शादी के लिए बोला। इसके बाद उसने मना कर दिया और उसे उसी हालात में छोड़ गया। महिला ने कहा कि वह उसके घर गयी और परिवार वालों को सब बताया। लेकिन अभियुक्त ने उसे पहचानने से भी इंकार कर दिया और उसकी मां ने धमकी दी।
महिला का कहना है कि अभियुक्त ने शादी के लिए 20,000 रुपये की शर्त रखी है। इतने पैसे देने के बावजूद उसने न तो शादी की और न ही पैसे लौटाए। 11 जनवरी, 2013 को घाटकोपर पुलिस के पास महिला ने अपनी शिकायत दर्ज करायी। पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया और उस पर महिला को रेप करने और धोखा देने का केस दर्ज किया।
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ट्रायल के दौरान पांच गवाहों की भी पूछताछ की गयी। आरोपी ने अपने खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों को खारिज कर दिया। जब मामला को दर्ज कराया गया था तब महिला के मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार वह प्रेग्नेंट थी।
अदालत ने कहा, ‘आरोपी के पैसे नहीं लौटाने और उसकी मां द्वारा शादी के लिए अनुमति नहीं मिलने पर महिला ने केस दर्ज कराया होगा।‘ अभियुक्त को बरी करते हुए कोर्ट ने कहा, ‘परिस्थितियों को देखते हुए महिला व आरोपी के बीच आपसी सहमति से संबंध बनाया गया है इसमें किसी तरह की गलतफहमी नहीं दिख रहा।‘

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