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    ..और वीरान हो गईं आबाद बस्तियां

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    Updated: Thu, 27 Jun 2013 10:00 AM (IST)

    जहां कभी जिंदगी मुस्कुराती थी, वहां अब मरघट सी वीरानी है। ढेर सारे सपनों के साथ तैयार आशियाने जमींदोज हो गए। अब इंसानी आहट सिर्फ बचा खुचा सामान समेटने तक ही सिमटी नजर आती है। जी हां, उत्तरकाशी शहर की तिलोथ और जोशियाड़ा बस्तियों में ऐसा ही मंजर है। बीते वर्ष तीन अगस्त को आई आपदा को जो

    उत्तरकाशी [पुष्कर सिंह रावत] जहां कभी जिंदगी मुस्कुराती थी, वहां अब मरघट सी वीरानी है। ढेर सारे सपनों के साथ तैयार आशियाने जमींदोज हो गए। अब इंसानी आहट सिर्फ बचा खुचा सामान समेटने तक ही सिमटी नजर आती है। जी हां, उत्तरकाशी शहर की तिलोथ और जोशियाड़ा बस्तियों में ऐसा ही मंजर है।

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    बीते वर्ष तीन अगस्त को आई आपदा को जोशियाड़ा और तिलोथ बस्तियां झेल गई थीं। लेकिन इस बार 16 जून को शुरू हुआ भागीरथी की प्रचंड लहरों का कहर ज्यादा विनाशकारी साबित हुआ। गंगा भागीरथी के तटबंध क्या टूटे कि दो दिन तक इमारतें तिनकों की तरह लहरों के आगोश में समाती रहीं। सरकारी आंकड़ों में दोनो बस्तियों में 45 रिहायशी और सात व्यावसायिक मकान ध्वस्त हुए। जबकि, 25 से ज्यादा मकान खतरे की जद में हैं। ऐसे मकान और दुकानें भी अब खाली होने लगी हैं।

    प्रभावित लोग अपने परिचितों के यहां शरण लिए हुए हैं। तिलोथ बस्ती जल विद्युत निगम, तिलोथ सेरा और तिलोथपुल से मुख्य बाजार के कारण आबाद रहती थी। जबकि जोशियाड़ा विकास भवन व एनआइएम सहित सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों से गुलजार था, लेकिन अब सिर्फ सामान समेटते लोगों की हलचल और तबाही के अलावा यहां कुछ नजर नहीं आ रहा।

    बेघर और खतरे की जद में आए लोगों के नाम सरकारी लिस्ट में चढ़ गए हैं, लेकिन मदद कितनी और कब मिलेगी. इससे ज्यादा चिंता उन्हें भविष्य की है।

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