जयललिता के लिए मनहूस रहा है सितंबर
अन्नाद्रमुख प्रमुख जयललिता के लिए सितंबर का महीना निशिचत तौर पर दुर्भाग्यशाली रहा है। 13 साल पहले 2001 के सितंबर महीने में ही सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ फैसला दिया था। इस बार भी शनिवार, 27 सितंबर को ही बेंगलूर की विशेष अदालत ने उन्हें दोषी करार दिया। तब सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से फैसला सुनाया थ
चेन्नई। अन्नाद्रमुख प्रमुख जयललिता के लिए सितंबर का महीना निशिचत तौर पर दुर्भाग्यशाली रहा है। 13 साल पहले 2001 के सितंबर महीने में ही सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ फैसला दिया था।
इस बार भी शनिवार, 27 सितंबर को ही बेंगलूर की विशेष अदालत ने उन्हें दोषी करार दिया। तब सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से फैसला सुनाया था कि एक ऐसा व्यक्ति जो आपराधिक मामले में दोषी पाया गया हो और जिसे दो साल से ज्यादा की सजा सुनाई गई हो, मुख्यमंत्री के पद पर नहीं रह सकता।
इस मामले में शीर्ष अदालत ने जनमत और लोगों की इच्छा जैसी दलीलों को भी ठुकरा दिया था। उस समय जयललिता ने अपने ऊपर लगे आरोपों के गलत साबित होने तक ओ पनीरसेल्वम को मुख्यमंत्री बना दिया था। 2002 में वह चुनाव जीतकर वह फिर सबा में आ गई थीं।
शनिवार को सितंबर उनके लिए फिर मनहूस साबित हुआ, जब विशेष अदालत के जज जॉन माइकल डी कुन्हा ने उन्हें 18 साल पुराने आय से अधिक संपबि के मामले में चार साल की सजा सुनाई।
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