साथ होते तो 200 से ज्यादा सीटें जीतते: संजय राउत
अगर भाजपा और शिवसेना ने राज्य विधानसभा चुनावों में मिलकर ताल ठोंकी होती तो 200 से ज्यादा सीटों पर जीत संभव थी। यह कहना है शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत का।
मुंबई। अगर भाजपा और शिवसेना ने राज्य विधानसभा चुनावों में मिलकर ताल ठोंकी होती तो 200 से ज्यादा सीटों पर जीत संभव थी। यह कहना है शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत का। पार्टी के मुखपत्र 'सामना' के कार्यकारी संपादक राउत ने रविवार के अंक में प्रकाशित अपने साप्ताहिक लेख में कहा कि हालांकि जनता ने दोनों दलों को ऐसी स्थिति में पहुंचा दिया है कि उन्हें साथ मिलकर सरकार बना लेनी चाहिए।
हाल ही में आए राज्य विधानसभा चुनाव परिणामों से स्पष्ट है कि राज्य के गुजराती समुदाय ने शिवसेना के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पक्ष में वोट दिया। राउत ने कहा, 'यद्यपि गुजराती समुदाय लंबे समय से महाराष्ट्र में रह रहा है,लेकिन उसने मोदी और अमित शाह पर भरोसा जताया क्योंकि ये दोनों गुजराती हैं।
गुजराती समुदाय ने ¨हदुत्व के मुद्दे पर बालासाहेब ठाकरे के सहयोग को भुला दिया।' हालांकि उन्होंने कहा कि चुनाव के विश्लेषण में यह देखा जा सकता है कि शिवसेना ने गुजरात विरोधी रुख नहीं अपनाया था। राउत ने कहा, 'अच्छा करने के बाद भी शिवसेना के नेताओं की हार क्या दिखाती है। महाराष्ट्र ने एक बार फिर मोदी के नाम पर वोट दिया और भाजपा सफल हुई।'
विदर्भ को राज्य का दर्जा देने और मुंबई की महत्ता को कम करने के भाजपा के रुख पर राउत ने कहा, 'चुनाव परिणामों से महाराष्ट्र को क्या मिला? अखंड महाराष्ट्र और मुंबई की स्थिति को लेकर अनिश्चितता के बादल।' उन्होंने कहा कि शिवसेना के 17 उम्मीदवार सिर्फ 49 से 1,500 वोटों से जीते हैं। अगर ये विजयी होते तो शिवसेना के विधायकों की संख्या 80 से ज्यादा होती। मुंबई, थाणे और पुणे क्षेत्र में मनसे ने शिवसेना के वोट काटे और इसका फायदा बीजेपी को मिला।
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